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स्मार्ट सिटीः हाईकोर्ट ने रायपुर, बिलासपुर नगर-निगम के जन-प्रतिनिधियों को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

बिलासपुर हाईकोर्ट।

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर और रायपुर नगर निगम की सामान्य सभा और मेयर इन कॉन्सिल को नोटिस जारी कर स्मार्ट सिटी कम्पनियों द्वारा निर्वाचित संस्थाओं के अधिकार हड़पने वाली जनहित याचिका पर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी।

हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस अरूप गोस्वामी और जस्टिस एन.के. चन्द्रवंशी की खण्डपीठ ने 25 जनवरी को नोटिस जारी कर उन्हें उस जनहित याचिका पर अपना पक्ष रखने को कहा है, जिसमें नगर निगम की निर्वाचित संस्थाओं के अधिकारों को हड़प कर स्मार्ट सिटी कम्पनियों द्वारा कार्य करने का आरोप लगाया गया है। अब तक हुई सुनवाई में इन संस्थाओं को विधिवत नोटिस जारी नहीं हुआ था। आज जब स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिवक्ताओं ने स्थगन आदेश समाप्त करने या अन्तिम सुनवाई शीघ्र करने की मांग की, तब खण्डपीठ ने अब तक इन संस्थाओं को नोटिस जारी नहीं होने का हवाला दिया।

गौरतलब है कि बिलासपुर के अधिवक्ता विनय दुबे की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और गुंजन तिवारी द्वारा दाखिल जनहित याचिका में बिलासपुर और रायपुर नगर में कार्यरत स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनियों को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि इन्होंने निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलापों का असंवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया है, जबकि ये सभी कम्पनियॉ विकास के वही कार्य कर रही हैं जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन हैं। विगत 5 वर्षो में कराये गये कार्य की प्रशासनिक या वित्तीय अनुमति नगर निगम, मेयर, मेयर इन कॉन्सिल या सामान्य सभा से नहीं ली गयी है।

केन्द्र सरकार की ओर से इस याचिका के जवाब में यह माना गया कि ये दोनों कम्पनियां उन्हीं कार्यो को अंजाम दे सकती है,  जिसकी अनुमति नगर निगम दे। साथ ही इन कम्पनियों के निदेशक मण्डल में राज्य सरकार और नगर निगम के बराबर-बराबर प्रतिनिधि होने चाहिये। वर्तमान में इन दोनों कम्पनियों के 12 सदस्यीय निदेशक मण्डल में  नगर निगम आयुक्त के अलावा कोई भी नगर निगम का प्रतिनिधि नहीं है। इसके विपरीत स्मार्ट सिटी कम्पनियों ने खुद को स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अधिकार होने की दलील दी है।

आज हुई सुनवाई में स्मार्ट सिटी कम्पनियों की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता प्रफुल्ल भारत और मतीन सिद्धीकी ने 14 सितम्बर 2021 को पारित आदेश में संशोधन करने की मांग की और जल्दी सुनवाई की जरूरत बताई। खण्डपीठ ने जल्दी सुनवाई के पहले सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी होना आवश्यक बताया। रायपुर और बिलासपुर नगर निगम की सामान्य सभा और मेयर इन कॉन्सिल को नोटिस जारी करते हुये प्रकरण की सुनवाई 14 फरवरी नियत की गई है।

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