सात साल लम्बे अंतराल के बाद हो रही है न्यायिक अधिकारियों व अभिभाषकों के लिए रिफ्रेशर कार्यशाला

पक्षकारों के बीच मध्यस्थता के जरिये मामलों को सुलझाकर मुकदमों में कमी लाने के लिए तीन दिन की कार्यशाला आयोजित की जा रही है, जिसका समापन 14 जुलाई को होगा। उद्घाटन कार्यक्रम में हाईकोर्ट के न्यायाधीश और मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य आरसीएस सामंत ने कहा कि मध्यस्थता एक कला है, जिसमें पक्षकारों की जिज्ञासाओं का समाधान कर उन्हें सहमति के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

सामंत ने कहा कि इस तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम 7 साल पहले रखा गया था। यह काफी अंतराल के बाद हो रहा है। इस बीच मध्यस्थता के कई नई तकनीक और अवधारणाएं आ चुकी हैं, जिसके बारे में जानकर हमें अपने अनुभवों को साझा करने की जरूरत है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में मध्यस्थता के अच्छे परिणाम आए हैं पर छत्तीसगढ़ के नतीजे अपर्याप्त हैं। यह हमारे लिए मंथन का विषय है।

यह कार्यक्रम मिडियेशन एंड काउन्सिलेशन प्रोजेक्ट कमेटी के निर्देश पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और हाईकोर्ट की कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में रखा गया है। इस दौरान न्यायिक अधिकारी और अधिवक्ताओं को 20 घंटे तक प्रशिक्षण दिया जाएगा।

मिडियेशन सेंटर के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पी. सैम कोशी ने कार्यक्रम में कहा कि रिप्रेशर ट्रेनिंग के दौरान कठिनाइयों और उपलब्धियों को एक दूसरे से शेयर करें। हमें अपने आपको नई जानकारी और तकनीक की जानकारी अद्यतन करते रहना है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में रजिस्ट्रार विजिलेंस और सचिव मिडियेशन सेंटर सचिव दीपक कुमार तिवारी ने स्वागत भाषण दिया। प्राधिकरण के सदस्य सचिव विवेक कुमार तिवारी ने आभार प्रदर्शन और उप सचिव दिग्विजय सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया। प्रशिक्षण देने के लिए ट्रेनर आरती शर्मा, नीना खरे और शालिनी जैन दिल्ली से आई हैं, जबकि  छत्तीसगढ़ से जज नीना मार्टिन प्रशिक्षण दे रही हैं।

कार्यक्रम में जिला एवं सत्र न्यायाधीश एन. डी. तिगाला, न्यायाधीश फैमिली कोर्ट विनोद के. कुजूर व अन्य न्यायिक अधिकारी, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिन्हा, सौरभ डांगी आदि उपस्थित हैं। इसमें 10 न्यायाधिकारी और 15 अधिवक्ताओं के अलावा विधि छात्र और मीडिया के लोग भाग ले रहे हैं।

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