बिलासपुर में इस तरह का पहला ऑपरेशन होने का दावा

बिलासपुर। दुर्घटना के बाद पाचक ग्रंथि के दो टुकड़ों में बंट जाने के बाद एक जटिल ऑपरेशन कर एक बुजुर्ग को बचा लेने में डॉक्टरों ने सफलता हासिल की है। इस मरीज का होमोग्लोबिन, रक्तचाप काफी गिरा हुआ था और उसे मधुमेह की बीमारी थी। बिलासपुर में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन होने का दावा किया गया है।

महादेव हॉस्पिटल में यह केस 8 जनवरी को लाया गया था। पेंड्रारोड के राजेश्वर श्रीवास (56 वर्ष) को एक सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद सिम्स चिकित्सालय लाया गया था। डॉक्टरों में उसकी अत्यन्त गंभीर हालत देखते हुए उसे किसी अन्य चिकित्सालय में ले जाने की सलाह दी। उसी दिन उसे एक अन्य निजी चिकित्सालय में दाखिल कराय गया, जहां डॉक्टरों ने उसके बचने की उम्मीद नहीं होने की बात कही। इसके बाद घायल राजेश्वर को महादेव हास्पिटल लाया गया। यहां सर्जन डॉ. अंशुमान तिवारी ने उनकी जांच की तो पाया कि मरीज की हालत अत्यन्त गंभीर है। उसका होमोग्लोबिन लेबल तीन से भी नीचे चला गया है और ब्लड प्रेशर का कोई संकेत भी नहीं मिल रहा था। सीटी स्कैन में यह पाया गया कि उसके पाचक ग्रंथि (पेन्क्रियाज़) के दो दुकड़े हो चुके हैं। इसके अलावा उसके कूल्हे में भी फ्रैक्चर है। हास्पिटल के चिकित्सक डॉ. अंशुमान तिवारी ने उनके उपचार को चुनौती के रूप में लिया। ब्लड प्रेशर और होमोग्लोबिन को सामान्य स्तर पर लाने के साथ ही उसकी पाचक ग्रंथि के एक टुकड़े को अलग कर दिया गया। सफल ऑपरेशन के बाद करीब तीन हफ्ते तक उसका उपचार चला और आज हास्पिटल से छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों ने बताया कि लम्बे इलाज के कारण उसका बिल 2.5 से तीन लाख रुपये का बन सकता है लेकिन सरकारी कर्मचारी होने के कारण यह राशि उसे छत्तीसगढ़ सरकार से मिल जायेगी। मरीज के परिजन भी इस जानकारी के दौरान पत्रकारों के बीच उपस्थित थे। डॉ. अंशुमान ने बताया कि यह उनके अब तक के सेवाकाल में सबसे कठिन ऑपरेशन था

 

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