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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 7 माह से रुकी भर्ती, प्रमोशन और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश का रास्ता खुला

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया।

कांग्रेस भाजपा दोनों ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया

हाईकोर्ट के आदेश के बाद आरक्षण की स्थिति हो गई थी शून्य

नई दिल्ली। आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ को बड़ी राहत दी है। सात माह पहले दिए गए हाईकोर्ट के आदेश के बाद 58 प्रतिशत आरक्षण पर लगी रोक को शीर्ष अदालत ने हटा दिया है। इसके साथ ही तत्काल भर्ती और प्रमोशन शुरू करने का निर्देश भी दिया है। अब प्रदेश में सरकारी नौकरियों में भर्ती, प्रमोशन के साथ ही शिक्षण संस्थानों में प्रवेश का रास्ता साफ हो गया है।  

दरअसल, छत्तीसगढ़ की तत्कालीन भाजपा सरकार ने 2012 में 58 फीसदी आरक्षण को लेकर अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत अनुसूचित जनजाति को 20 की जगह 32 फीसदी, अनुसूचित जाति को 16 की जगह 12 फीसदी और ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था। इससे आरक्षण का दायरा संविधान द्वारा निर्धारित 50 फीसदी से ज्यादा हो गया। इस अधिसूचना पर लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण को खारिज कर दिया। इसके चलते प्रदेश में आरक्षण की स्थिति शून्य हो गई और सभी तरह की सरकारी भर्तियों, प्रमोशन व शिक्षण संस्थानों में कोटे के आधार पर प्रवेश की प्रक्रिया पर रोक लग गई। इसकी वजह से सीजीपीएससी का इंटरव्यू होने के बावजूद रिजल्ट नहीं जारी किया जा सका है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि, 58% आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं,  पर छत्तीसगढ़ के युवाओं के खिलाफ भाजपा के षड्यंत्र के विरूद्ध हमारा संघर्ष जारी रहेगा। राज्यपाल नए विधेयक पर हस्ताक्षर करें तभी सही न्याय मिलेगा।

इधर, छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्वसम्मति से 76 प्रतिशत आरक्षण देने संशोधन विधेयक पारित किया जा चुका है, लेकिन इस पर राज्यपाल की मंजूरी अब तक नहीं मिली है। इसके बाद 2012 से प्रदेश में लागू 58% आरक्षण को भी हाईकोर्ट ने अवैधानिक घोषित कर दिया था। आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज, फार्मेसी कॉलेज, वेटरनरी कॉलेज, आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, बीएड-डीएड कॉलेज, कृषि महाविद्यालय, नर्सिंग महाविद्यालय तथा पॉलिटेक्निक कॉलेजों की प्रवेश परीक्षाएं भी प्रभावित हो गई थीं।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी फैसले का  स्वागत करते हुए कहा कि तत्कालीन भाजपा सरकार ने काफी विचार विमर्श के बाद 58 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर मुहर लगा दी है। अब युवाओं की भर्ती का रास्ता खुल गया है। आरक्षण में बाधक बनने वाली कांग्रेस की सच्चाई सामने आ गई है। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि भाजपा शासनकाल में लागू 32 प्रतिशत आरक्षण पर कांग्रेसियों ने रोक लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। यह भाजपा की वैचारिक जीत है।

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