कुल सचिव रहे विधायक शैलेष पांडेय भावुक हुए पहली बार विश्वविद्यालय पहुंचकर

पद्म विभूषण पंडवानी गायिका तीजन बाई और मुंबई के कबीर कैफे की शानदार प्रस्तुति

बिलासपुर। डॉ. सी वी रामन विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय रामन लोककला महोत्सव का शुभारंभ हुआ । इस महोत्सव में पहले दिन एक अप्रैल की शाम पद्म विभूषण पंडवानी गायिका तीजन बाई ने अपने  पारंपरिक और चिर परिचित अंदाज में प्रस्तुति दी । इसके बाद मुंबई के कबीर कैफे ने जमकर धूम मचाया। नीरज आर्य एवं साथियों ने कबीर के दोहों को युवाओं तक पहुंचाने के लिए पाश्चात्य धुनों में गाया और नए रूप में अंचल के लोगों के सामने रखा, जिसे सभी ने पसंद किया। वहीं लोरमी के राबेली ग्रुप ने बांस गीत की प्रस्तुति दी विलुप्त होती इस कला को लोगों ने बहुत सराहा । डॉ सी वी रामन विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने छत्तीसगढ़ी नृत्य की प्रस्तुति दी। शाम को विश्वविद्यालय के महोत्सव में सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ की संस्कृति नजर आई।

इस अवसर पर यहां के कुल सचिव पद से इस्तीफा देने के बाद पहली बार परिसर में पहुंचे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे ने कहा कि नई टैक्नॉलाजी युवाओं को लोक कला और संस्कृति से दूर ले जाती जा रही है। आज अपनी मिट्टी से जुड़ने की जरूरत है। विवि ने यह महत्वपूर्ण कार्य किया है और यह महोत्सव राप्ट्रीय और अंतराप्ट्रीय रूप लेगा। सीवीआरयू छ.ग.की लोक कला को अनंत काल का संरक्षित करेगा।

भावुक शैलेष पांडेय ने मुख्य अतिथि बनाने पर जताया ऐतराज

विधायक शैलेश पांडेय सन् 2006 में विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर सन् 2017 तक 11 वर्षों तक विश्वविश्विद्यालय के कुल सचिव रहे। अपने बीते दिनों की याद कर वे भावुक हो उठे और मंच पर उनकी आंखें भर आईं। अपने भाषण से उन्होंने उन लोगों का नाम पुकारने में ज्यादा समय दिया, जिनके साथ उन्होंने काम किया है और मंच के सामने मौजूद थे। भाषण के दौरान ही वे मंच से नीचे उतरकर अपने पूर्व सहयोगियों का हाल पूछने के लिए पहुंच गये। उन्होंने कुलाधिपति चौबे से कहा कि आज के कार्यक्रम में अपने आपको मुख्य अतिथि बनाये जाने पर ऐतराज है, क्योंकि वे इसके चलते वे अपने आपको विश्वविद्यालय में पराया समझ रहे हैं, जबकि यह उनका अपना ही परिवार है। मैं तो आपका सेवक रहा हूं। अपने उद्वोधन में उन्होंने कहा कि जब काम करो तो इतनी ईमानदारी से करो कि वह काम ही अपना हो जाए। इस विवि में  मैंने कभी भी नौकर की तरह नहीं, मेरा विवि है यह सोच कर काम किया। पाण्डेय ने कहा  कि मेरा इस विवि में प्रेम कम नहीं हुआ है, मुझे यह के सभी लोगों को बहुत प्रेम किया है। मैं यहां के सभी साथियों का ऋणी हूं और रहूंगा, इस ऋण से कभी मुक्त नहीं होना चाहूंगा।  उन्होंने कहा कि मुझे विश्वविद्यालय को लेकर कई घोषणाएं करनी हैं, पर फिर कभी इस पर बात होगी क्योंकि अभी आचार संहिता लगी हुई है।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित भोपाल से आए कथाकार एवं संपादक समावर्तन मुकेश वर्मा, कवि एवं गद्यकार बलराम गुमास्ता, आईसेक्ट के निदेशक नितिन वत्स  और वनमाली सृजनपीठ के अध्यक्ष सतीश जायसवाल ने भी सभी को संबोधित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष,प्राध्यापक,विद्यार्थी सहित हजारों की संख्या में अंचल के लोग उपस्थित थे।

विज्ञान व तकनीकी शिक्षा के साथ लोक कला को समझना जरूरी-चौबे

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोप चौबे ने कहा कि विज्ञान और तकनीक की शिक्षा के साथ-साथ लोक कला को समझना जरूरी है। यह हमें हमारी संस्कृति से जोड़ती है। आज के वैश्विक युग में युवाओं को अपनी लोक कला और संस्कृति की जानकारी होना चाहिए। उनके साथ जीवन जीना ही वास्तविक जीवन होता हैं। उन्होंने कहा कि विवि के लिए यह गौरव की बात है कि आज हमारे बीच पद्म विभूपण तीजन बाई है। हमें अपनी विरासत को सम्मान करना चाहिए। श्री चौबे ने तीजन बाई को स्व. शारदा चौबे लोक सम्मान से विभूपित किया।

अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि कला संस्कृति और साहित्य मानव जीवन का अनिवार्य अंग है इसके बिना मानव जीवन ही अधूरा है।  कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि चूंकि यह विश्वविद्यालय आदिवासी क्षेत्र में स्थापित किया गया है। इसलिए लोक कला धरोहर को न केवल संरक्षित करने बल्कि उसे आगे बढ़ाने का दायित्व विश्वविद्यालय का है। लोक कला,संस्कृति महोत्सव कराने वाला यह प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है।

लोक महोत्सव के पहले दिन आज छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय के परिसर में नजर आया । छत्तीसगढ़ी गाने, छत्तीसगढ़ी परिधान, छत्तीसगढ़ी व्यंजन ,छत्तीसगढ़ी कला सहित अनेक स्टाल यहां लगाए गए थे इसके साथ मंच पर छत्तीसगढ़ी कलाकारों और विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने झमाझम प्रस्तुति दी। इस को लेकर ऐसा लग रहा था कि समूचा छत्तीसगढ़ आज डॉक्टर सी वी रमन विश्वविद्यालय परिसर में समा गया है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति, कला, धर्म, परिधान , रहन-सहन ,व्यवहार की भी जानकारी विद्यार्थियों को देने के लिए रामन लोक महोत्सव आयोजित किया गया है इसमें समूचे छत्तीसगढ़ को एक स्थान पर लाया गया है।

आज होंगे ये आयोजन

चित्रोत्पला लोक कला परिषद छत्तीसगढ़ी नाटक (राजा फोकलवा) रायपुर। लक्ष्मी पाटील व साथी कला मंच (पारंपरिक लोकगीत एवं लोक नृत्य) । नरेंद्र यादव व साथी करमा नृत्य, बेलगहना। विश्वविद्यालय की प्रस्तुति, छत्तीसगढ़ी नृत्य।

 

 

 

 

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