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प्रदेश के कारखानों से निकल रही विषैली गैसों का साग-सब्जी, सेहत पर पड़ रहा बुरा असर

प्रतीकात्मक चित्र।

गुरु घासीदास केन्द्रीय विवि में चल रहे शोध से निकला निष्कर्ष, सिलतरा, रायगढ़ और जांजगीर-चाम्पा क्षेत्र में किया गया अध्ययन

बिलासपुर। गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में किये जा रहे एक शोध से यह पता चला है कि कारखानों से निकलने वाली विषैली गैसों एवं अपशिष्ट पदार्थो का औषधीय पौधों एवं साग-सब्जियों पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।

शोध के दौरान अवलोकन किया गया कि औषधीय तत्वों एवं सब्जियों के पोषक तत्वों की गुणवत्ता में गिरावट आई है। पौधों एवं सब्जियों में विषैले पदार्थो का संचय भी होने लगता है। यह पौधों के विकास में बाधक है। सम्पूर्ण विकास नहीं होने पर पौधों में औषधीय एवं पौष्टिक तत्व बनने की प्रक्रिया बंद हो जाती है। जहरीले तत्वों से युक्त साग-सब्जी खाने से मनुष्य की सेहत पर असर पड़ सकता है।

यह शोध विश्वविद्यालय के प्राकृतिक संसाधन अध्ययनशाला के अंतर्गत फार्मेसी विभाग की ओर से किया जा रहा है। फार्मेसी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. विवेकानंद मंडल इस विषय पर शोध कर रहे हैं।

विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा फरवरी, 2017 स्वीकृत शोध परियोजना के तहत उक्त शोध किया जा रहा है। दो शोधार्थी रोशनी टांडे एवं कवि भूषण चौहान भी इस शोध परियोजना पर साथ काम कर रहे हैं। परियोजना के तहत औद्योगिक क्षेत्र सिलतरा (रायपुर), रायगढ़ एवं जांजगीर चांपा स्थित औद्योगिक कल कारखानों से होने वाले प्रदूषण से औषधीय पौधों के औषधीय तत्व एवं साग-सब्जियों के पोषक तत्वों पर होने वाले प्रभाव का अध्ययन हो रहा है।

 

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