बिलासपुर। दिनचर्या में परिवर्तन, नींद, भूख, यौन अनियमितता, बिना मतलब हंसना, अपने आप से बात करना, आवाज़ें आना, खाने में जहर मिला दिया या पड़ोसी मेरे बारे में ही बात करते हैं, ऐसा सोचना या शंका करना। ये सब मनोरोग के लक्षण हो सकते हैं।

राज्य मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय बिलासपुर की ओर से रतनपुर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, हेल्थ वर्कर, एएनएम, का मानसिक रोग पहचान एवं रोगी रिफलर पर रखे गए एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में यह जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में बताया गया कि एक ही विचार बार-बार आना, बार-बार हाथ धोना, बेचैनी, डरना, घबराहट, दम घुटना, वज़न घटना, सांस छोटा लेना, सांस तेज होना, पसीना बहुत आना, नकारात्मक सोच, विचित्र व्यवहार, मन नहीं लगना, मरने की इच्छा, रोने की इच्छा नहीं लगना, मन भारी-भारी लगना,  चिड़चिड़ापन, मारपीट करना अकेला रहना, डरना भी मानसिक विकार के लक्षण होते हैं।

शिविर में मनोवैज्ञानिक एवं समाजसेवी प्रशांत रंजन पांडे ने बताया कि प्रशिक्षण के आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच फैली मनोरोग की भ्रांतियों को दूर करना है।जिस प्रकार शारीरिक स्वास्थ्य है ठीक उसी तरह मानसिक स्वास्थ्य भी होता है।

उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, हेल्थ वर्कर, एएनएम को जागरुक करके समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति बनी नकारात्मक अवधारणा को तोड़ना है। समाज में प्रचलित है कि मानसिक विकारो का इलाज संभव नहीं है। शारीरिक स्वास्थ्य की तरह ही मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है। जिस प्रकार शारीरिक स्वास्थ्य में शरीर को बुखार होता है उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य में गुस्सा आता है। लेकिन जब माहौल पक्ष में हो जाता है तो गुस्सा शांत हो जाता है। मनोचिकित्सा के सामाजिक कार्यकर्ता पांडेय ने बताया कि हमें लोगों की समझ को विकसित करके उनको मानसिक स्वास्थ्य कि बारीकियों को समझाना होगा, जिससे समाज में मानसिक रोगी को पहचान कर सकें। इससे उसको समय पर सरकार द्वारा दी जाने वाली निशुल्क चिकित्सा का लाभ मिल सकेगा। मानसिक रोग लाइलाज बीमारी नहीं है। दवाइयों के माध्यम से मानसिक रोग को ठीक  किया जाता है।

उन्होंने बताया कि मानसिक रोग के भी कई प्रकार हैं जैसे साइकोटिक, न्यूरोटिक, ओसीडी, मेनिया, फोबिया, एंजायटी, डिप्रेशन, इसका किसका आटिस्का और एमआर।

उन्होंने कहा कि शारीरिक लक्षण से भी मानसिक रोगी को पहचान सकते हैं, जैसे सिर दर्द, बदन दर्द, कमजोरी, थकावट, भूख न लगना, उल्टी आना, कब्ज, वजन में कमी, अनिद्रा दिल का तेज धड़कना, और  सांस फूलना। मानसिक रोग के विषय में गलत अवधारणा प्रचारित है जैसे मानसिक रोग का उपचार संभव नहीं है,  एक बार होने पर जीवन भर रहता है, मानसिक रोग भूतों के कारण पैदा होता है और यह छुत का  रोग है, रोगी खतरनाक होता है और  ऐसे लोगो को जंजीर से बांधकर रखना ठीक होता है या अकेले कमरे में बंद कर देने से ठीक होता है।लोग ज़्यादातर झाड़-फूंक से ऐसे लोगो का इलाज संभव हो सकता है जो कि एक गलत अवधारणा है।

मनोरोग के केस में विशेषज्ञ से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। दवा का सेवन केवल डॉक्टरों की सलाह पर करना चाहिए। मानसिक रोग का उपचार जिला अस्पताल रायपुर, धमतरी, दुर्ग, मुंगेली, बस्तर, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़ तथा जांजगीर-चांपा में उपलब्ध है।

 

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