कुलपतियों के सम्मेलन में प्रो. अंजिला गुप्ता ने दी जानकारी

गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में इस समय 55 वृहद शोध परियोजनाएं संचालित हो रही है। अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है। विश्वविद्यालय में ग्लोबल इनिशेटिव फॉर अकादमिक नेटवर्क (ज्ञान) के पांच कार्यक्रम रखे जा चुके हैं। अनुसंधान और नमोन्वेष को प्रोत्साहित करने लिए 6 महत्वपूर्ण एमओयू किए गए हैं।

उक्त जानकारी कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता ने दिल्ली में आयोजित केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में दी।

बीते 26 से 28 जुलाई तक हुए इस सम्मेलन का आयोजन मानव संसाधन विभाग और विवि अनुदान आयोग की ओर से किया गया था। सम्मेलन में प्रो. गुप्ता ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को विस्तार से रखा।

प्रो. गुप्ता ने बताया कि ग्यान के तहत अंग्रेजी के दो तथा गणित, बायोटेक्नालॉजी व सिविल इंजीनियरिंग के एक-एक कार्यक्रम हुए हैं। शोध व अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए विज्ञान-प्रौद्योगिकी विभाग, ऊर्जा विभाग, राष्ट्रीय ग्रामीण संस्थान परिषद्, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र एवं तकनीकी शिक्षा परिषद् से अलग-अलग 6 एमओयू किए गए हैं। करीब 1500 विद्यार्थियों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया गया है। शोध व अनुसंधान के लिए उत्कृष्ट उपकरणों के साथ ही विवि परिसर में वाई-फाई सेवा दी गई है, जिसके 7000 उपयोगकर्ता हैं। केन्द्रीय ग्रंथागार में  5258 ई-पुस्तकं, 1336 ई-जर्नल, इन्फ्लीबनेट, शोध गंगा युक्त राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय (एनडीएल) से विश्वविद्यालय जुड़ा हुआ है। विश्वविद्यालय में एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली (आईयूएमएस) के जरिये प्रक्रियाएं ऑनलाइन की गई हैं।

कुलपति ने राष्ट्रीय त्वरक आधारित शोध केन्द्र, लुप्त प्राय भाषाओं के संरक्षण के लिए प्रयोगशाला और विशेष भाषाई प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में भी बताया। भौतिकी विभाग में विशेषीकृत उपकरणीय सुविधा प्रारंभ की गई है। वृहद् शोध परियोजनाएं लाने पर अतिरिक्त वेतन वृद्वि दी जा रही है। शोध क्रियान्वयन प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए क्रय समिति का गठन किया गया है।

अधोसंरचना विकास के लिए ओवरहेड अनुदान की 70 प्रतिशत राशि का प्रावधान किया गया है। संगोष्ठी,सम्मेलनों के आयोजन के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है। सहयोगात्मक, अंतरविषयक अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

वर्तमान में विश्वविद्यालय में 55 वृहद शोध परियोजनाएं संचालित हैं। इन परियोजनाओं के लिए विभिन्न संस्थानों से अनुदान प्राप्त हो रहा है।  त्वरक आधारित शोध के लिए राष्ट्रीय केन्द्र की स्थापना की गई है। यह अंतरविषयक अनुसंधान के लिए बड़ी पहल है। स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप शोध को बढ़ावा दिया जा रहा है।

विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षकों ने अपने शोध कार्य का पेटेंट कराया है। ऐसे शोध में न्यूट्रास्यिूटिकल्स एण्ड एन्टी आॅक्सीडेंट्स आधारित बडे़ पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन के लिए हरित पर्यावरण हितैषी विकिरण का विकास किया गया। साथ ही टाइप 2 मधुमेह के लिए नवीन मधुमेहरोधी कारक, घटक की डिजाइन की गई एवं इसका विकास किया गया। विश्वविद्यालय में शोध को प्रयोगशाला से धरातल पर ले जाते हुए कम कीमत का माइक्रोबियल आधारित कीटनाशक तैयार किया गया है। अणुओं के संसूचन के लिए नैनो पदार्थ का विकास किया गया है। उत्प्रेरण के लिए हरित संश्लेषण प्रक्रिया भी विकसित की गई।

अमेरिका में शोध के लिए विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों को प्रतिष्ठित रमन फैलाशिप अवार्ड प्रदान किया गया। एक शिक्षक ने चीन में आयोजित ब्रिक्स शोध सम्मेलन में सहभागिता की।

तीन दिवसीय सम्मेलन में देश भर के कुलपतियों ने शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की गुणवत्ता में सुधार लाने, सन् 2020 तक यूजीसी द्वारा अधिकृत गुणवत्ता के मानकों को प्राप्त करने एवं सन् 2020 तक नैक से प्रत्यायन अर्जित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्वता जताई। उक्त सम्मेलन में 600 सौ से अधिक कुलपतियों एवं उच्चतर शिक्षण संस्थान के निदेशकों ने भाग लिया।

इसका उद्घाटन केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने किया।  केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. सत्य पाल सिंह विशिष्ट अतिथि थे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव, यूजीसी के अध्यक्ष, एआईसीटीई के अध्यक्ष, मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं यूजीसी, एआईसीटीई के अधिकारी तथा केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य सरकारी विश्वविद्यालयों, मानद विश्वविद्यालयों, राज्यों के निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति, आईआईटी, आईआईएम, आईआईएससी, आईआईआईटी, आईआईएसईआर एवं अन्य केंद्रीय संस्थानों के निदेशकों ने भी सम्मेलन में भाग लिया।

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