बिलासपुर । पत्नी की मौत के बाद आठवीं पास पति ने अनुकम्पा नियुक्ति की कोशिश की लेकिन उसे मालूम हुआ कि उसे इसके लिए कम से कम 12वीं तो पास करना ही होगा। उसने पहले 10वीं फिर उसके बाद 12वीं पास कर ली, लेकिन अब विभाग ने ज्यादा उम्र का हवाला देते हुए नौकरी देने से मना कर दिया। पीड़ित विधुर ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई और फैसला उसके पक्ष में आया। सरकार को उसके आवेदन पर विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया है। फैसले में सिर्फ एक सुनवाई हुई और एक सप्ताह का समय लगा।

राजनांदगांव के डोंगरगढ़ विकासखंड के मोहरा की वर्ग एक शिक्षाकर्मी शहनाज बेगम की 27 दिसंबर 2013 को मृत्यु हो गई थी। मौत के बाद पति शेख सलीम ने जिला शिक्षा अधिकारी के पास अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने कहा कि तुम आठवीं पास हो, नौकरी चाहिये तो कम से कम 12वीं तो पास करना ही पड़ेगा। डीईओ ने कहा कि इसके लिए उसे उम्र में भी छूट देने का आश्वासन दिया। इसके बाद सलीम ने पहले 10वीं और फिर उसके बाद 12वीं परीक्षा पास कर ली। 2017 में उसने फिर विभाग में आवेदन किया। उसके आवेदन को विचार के लिए जिला पंचायत के सीईओ के पास भेजा गया। उसका आवेदन यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि समस्त छूटों के बाद भी  45 वर्ष की उम्र तक ही नियुक्ति देने का  प्रावधान है। तब सलीम ने अधिवक्ता संतोष कुमार पांडेय के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। दलील दी गई। कोर्ट में याचिकाकर्ता ने दलील दी कि अनुकम्पा नियुक्ति नियम 7 और 11 में स्पष्ट है कि विधुर को अनुकम्पा नियुक्ति देने के लिए 45 वर्ष की उम्र सीमा की बाध्यता नहीं है। याचिकाकर्ता को उसी समय जब वह आठवीं पास था, चतुर्थ श्रेणी में नियुक्ति दी जा सकती थी, लेकिन उसे अधिकारियों ने ही 12वीं पास करके आने कहा था।

हाईकोर्ट ने दलील को स्वीकार करते हुए राजनांदगांव जिला पंचायत के सीईओ के समक्ष फिर से आवेदन करने कहा है और सरकार को निर्देश दिया है कि इस पर नियमों के तहत विचार करें।

दिलचस्प यह है कि याचिका दायर करने और फैसला आने में याचिकाकर्ता को एक सप्ताह का ही समय लगा। पहली सुनवाई में ही कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here