112 में डायल करने से बौखलाई पुलिस की पिटाई से कल हुई थी ग्रामीण की मौत

बिलासपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी व मरवाही के विधायक अजीत जोगी के इलाके में पुलिस की बर्बरता की शर्मनाक घटना सामने आई है। पुलिस हेल्पलाइन नंबर से मदद मांगने से थानेदार को गुस्सा आ गया। उसने प्रौढ़ को लॉकअप में बंद कर रातभर लात घूंसे और लाठियों से पीटा, पिटवाया। उसके बाद जख्मी ग्रामीण को दिन भर कोर्ट में घिसटने भेज दिया। दोपहर बाद तक कोर्ट में सुनवाई नहीं हुई,तबियत काबू से बाहर होते देख बेटे ने पिता को लेकर अस्पताल की भाग दौड़ मचाई पर बिलासपुर लाते वक्त रास्ते में मौत हो गई। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पुलिस वालों पर हत्या का जुर्म दर्ज करने की मांग की। जोगी ने न्यायाधीश स्तर की जांच और 15 लाख रुपये पीड़ित परिवार के लिए मुआवजा मांगा। ग्रामीण कई घंटे शव के साथ थाने को घेरकर बैठे रहे। टीआई के खिलाफ अपराध उसी थाने में दर्ज होने के बाद आंदोलन खत्म हुआ। ये सब जमानती धाराएं हैं।

मालूम हुआ है कि ग्राम कुम्हारी में चंद्रिका प्रसाद तिवारी और उसके चचेरे भाई तुलसी तिवारी की जमीन एक दूसरे से सटी हुई है। जमीन के हिस्से को लेकर दोनों परिवारों के बीच विवाद होता रहा है। बीते 7 अप्रैल को हेल्पलाइन नंबर 112 में चंद्रिका के परिवार वालों ने सूचना दी कि तुलसी  व उनके परिवार के लोग जबरन उनकी जमीन में घुस आये हैं और झगड़ रहे हैं।


चंद्रिका तिवारी की पत्नी कली बाई ने बताया कि 112 वाहन में पहुंचे पुलिस वाले उसे व उसके पुत्र दिनेश को थाने ले गए। पीछे-पीछे उसका पति चंद्रिका भी थाने पहुंच गया। शिकायत के अनुसार टीआई ई एक्का ने उन्हें बेहद गंदी गालियां दीं और कहा कि 112 को फोन करके परेशान करते हो। उसके बाद दिनेश और उसके पिता चंद्रिका को पुलिस ने थाने के लॉकअप में बंद कर दिया। तुलसी तिवारी के खिलाफ इन लोगों ने शिकायत की थी कि जिसे भी पुलिस ने थाने में बुलाया था, लेकिन थोड़ी देर बाद उसे छोड़कर वापस भेज दिया गया। आरोप है कि रातभर पुलिस ने लॉकअप में चंद्रिका और उसके बेटे दिनेश को लात-घूंसों और लाठियों से पीटा। पुलिस की पिटाई से चंद्रिका का एक दांत भी टूट गया।

रात में थाने से निकलते वक्त थानेदार ने कहा कि सुबह इनको हास्पिटल में भर्ती करा देना। 55 वर्षीय वृद्ध चंद्रिका की तबियत खराब हो गई थी, पर दोनों के खिलाफ धारा 151 के तहत अपराध दर्ज कर लिया गया था, इसलिए उन्हें तहसीलदार न्यायालय में पेश करने के लिए कल 8 अप्रैल को सुबह भेजा गया। ख़बर यह है कि वहां तहसीलदार टीडी मरकाम के नहीं बैठने के कारण जमानत में देर होने लगी, इधर चंद्रिका की तबियत बिगड़ने लगी। जब उसके बेटे दिनेश ने देखा कि पिता को तुरंत अस्पताल नहीं ले जाया गया, तो जान निकल सकती है, उसने पेशी की परवाह किये बगैर एक वाहन का इंतजाम किया और उसे सेनेटोरियम अस्पताल लेकर गया। वहां उसकी स्थिति गंभीर बताई और इलाज के लिए बिलासपुर ले जाने के लिए कहा गया। लाते समय रतनपुर में सांस थमने लगी तो बिलासपुर पहुंचने का इंतजार न करते हुए चंद्रिका को रतनपुर हास्पिटल ले जाया गया, जहां रात आठ बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

परिजन चंद्रिका का शव लेकर रात में ही गांव लौट गये। वहां पुलिस पिटाई से हुई मौत को लेकर ग्रामीणों में रोष फैल गया। उन्होंने रात में ही शव के साथ थाने का घेराव कर दिया और थानेदार के खिलाफ अपराध दर्ज करने की मांग की गई। बिलासपुर से सांसद लखन लाल साहू ने भी पहुंचकर आंदोलनकारियों का साथ दिया। बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुंची। मुख्यमंत्री के निर्देश पर थानेदार ई एक्का व कुछ स्टाफ को लाइन अटैच कर दिया। मामले की उच्चस्तरीय जांच तथा मृतक परिवार को उचित मुआवजा देने का निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिया। इसके बाद दोपहर करीब दो बजे धरना समाप्त हुआ।

नेता प्रतिपक्ष की मांग- हत्या का जुर्म दर्ज हो

बिलासपुर भाजपा कार्यालय में एक पत्रकार वार्ता लेकर आज दोपहर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मांग की है कि वे इस मामले में राजनीति नहीं कर रहे हैं लेकिन थाने में पुलिस की पिटाई से ग्रामीण की मौत गंभीर मामला है, जिसे लेकर उन्होंने पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक और पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि थानेदार व पिटाई के दोषी स्टाफ के खिलाफ हत्या का अपराध दर्ज किया जाये और पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाये।

15 लाख रुपये मुआवजा सहित जोगी की चार मांगें

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने एक बयान में कहा है कि अपने भाई से विवाद की शिकायत पुलिस को दूरभाष से करने की कीमत चंद्रिका प्रसाद तिवारी को जान देकर चुकानी पड़ी। थाने में उसकी पिटाई के चलते मौत हुई है। उनके परिवार के दूसरे सदस्यों को भी पीटा गया है। तिवारी के परिजनों को 15 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाये। घटना की उच्च स्तरीय जांच न्यायाधीश की निगरानी में कराई जाये। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये तथा जांच को प्रभावित होने से बचाने के लिए संबंधित पुलिस कर्मियों को तत्काल निलम्बित किया जाये।

चंद्रिका प्रसाद तिवारी की पत्नी कली बाई तिवारी की ओर से आज पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें अपने पति की मौत के लिए उन्होंने टीआई मरवाही और तहसीलदार मरवाही को दोषी बताया। उन्होंने दोनों के खिलाफ हत्या का अपराध दर्ज करने की मांग की है।

हरकत में आया पुलिस-प्रशासन

चुनावी माहौल में हुई इस घटना को लेकर न केवल जिले में बल्कि पूरे प्रदेश के प्रशासनिक और राजनीतिक हलके में हड़कम्प मचा। सांसद लखनलाल साहू सुबह से ही थाने में धरना देने वालों का साथ देने पहुंच गए थे। भारी दबाव के बाद पुलिस ने अपरान्ह तीन बजे थाना प्रभारी ई एक्का के खिलाफ अपराध दर्ज करा दिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले में सख्त निर्देश दिये थे, जिसका असर दिखा। एक्का के खिलाफ़ आईपीसी की धारा 294, 323 और 506 के तहत मरवाही थाने में ही अपराध पंजीबद्ध किया गया है। गौरतलब है कि ये सभी धाराएं जमानती हैं। इसके पहले पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने एक्का को लाइन अटैच कर दिया था, पर आंदोलन खत्म नहीं हुआ था। एडिशनल एसपी भारतेन्दु द्विवेदी के निर्देश पर उनके खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है।

 

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