बिलासपुर। अचानकमार टाइगर रिजर्व भरे वसंत में उजाड़ दिखाई दे रहा है। यहां चारों तरफ सूखा पसरा हुआ है। इसकी जीवनदायिनी मनियारी नदी सूख चुकी है।
अचानकमार का भ्रमण कर लौटे पर्यावरण प्रेमी वरिष्ठ पत्रकार प्राण चड्ढा ने बताया कि टाइगर पांइट साटापानी सूखने के कगार पर है,यही हालत सराईपानी की है। यहां पानी कम है और उसमें गांव की पालतू भैंसे मिलीं, जो सारसडोल गाँव की हो सकतीं है।  सराई पानी में विशालकाय इंडियन गौर भी चर रहे थे,याने मवेशी अपनी बीमारियां इनको सौंप सकते हैं। जलदा गांव हटाया जा चुका है और जमीन वन्यजीवों को वापस मिल गईं है, मगर यहां दोनों तालाब अभी से सूख गए हैं।
छपरवा रेस्ट हाउस के पीछे मनियारी नदी के पानी में जंगल की हरियाली का मोहक प्रतिबिम्ब दिखता था पर वहां रेत ही रेत है।
चड्ढा ने बताया कि अब 19 गांव इस पार्क में जमे हैं, जिस पर मवेशियों और रहवासियों का भार पड़ रहा है। करीब 50 किमी की सफारी में, कहीं कोई फायर प्रोटेक्शन वर्क नहीं दिखा और न ही कोई इस कार्य में लगा कोई आदमी। जब गर्मी में आग लगती है तब अधिकारी पता लगाते हैं, आग लगने के कारण क्या हैं।
उन्होंने बताया कि दिसम्बर माह में कुछ दिनों तक एक टाइगर सुबह शाम सड़क पर चलता दिखा था। जरूर यह बेखौफ टाइगर कान्हा से प्रवास पर आया होगा परअब नहीं दिख रहा। वह शायद वापस चला गया होगा। यदा-कदा तेंदुआ दिखता हैं। अच्छी बात यह है कि अब सफारी देख चीतल, बाइसन, जंगली सुअर, मोर सिर पर पैर रख कम भागते हैं, याने उनको जिप्सी सफारी पर भरोसा होने लगा है।

चड्ढा ने कहा कि यह दुखद है कि इस पार्क के अधिकारी बदलते हैं और यह समस्या बनी रहती है। अभी वक्त है कि बड़े पैमाने पर इस रिज़र्व एरिया में और सौर ऊर्जा चलित पंप लगा कर वन्यजीवों के लिए पानी का इन्तजाम किया जाए।

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