सरल व्यक्तित्व के धनी, नम्रता एवं मृदुभाषिता के गुणों से परिपूर्णं, कर्मठता की प्रतिमूर्ति देबाशीष आचार्याृ का जन्म  02 जनवरी, 1964 को पश्चिम बंगाल के ऐतिहासिक शहर दक्षिण दिनाजपुर में श्री खगेन्द्र नाथ आचार्या एवं श्रीमती शैफाली आचार्या के गृहस्थ फलस्वरूप एक सुसंस्कृत एवं प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। बहुत ही अल्प आयु में आपके पिताजी का देहावसान हो गया और आपकी माता जी ने राज्य शासन अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग में कार्य करते हुए आपका लालन-पालन, शिक्षा-दीक्षा और नैतिक विकास में अपनी महती भूमिका का निर्वहन किया।  इस प्रकार चुनौतियों से जूझने एवं अपने प्रदत्त दायित्वों व कर्तव्यों के भलीभांति निर्वहन करने का व्यक्तित्व आपको विरासत में प्राप्त हुआ। आपने कोलकाता विश्वविद्यालय से विज्ञान संवर्ग सें स्नातक किया तथा रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय, कोलकाता से पर्यावरण अध्ययन में स्नातकोत्तर की उपाधि भी अर्जित की । आपने व्यावसायिक शैक्षणिक योग्यता स्टेट लेबर इन्सीट्यूट, पश्चिम बंगाल सरकार और इण्डियन इन्सीट्यूट ऑफ सोशल वेलफेयर एवं बिजनेस मैनेजमेंट, कोलकाता से प्राप्त किया। 
आपने अपने कैरियर की शुरूआत पश्चिम बंगाल स्थित एक टेक्सटाइल कंपनी से की थी। वेलफेयर के क्षेत्र में कार्य करने की रूचि होने के कारण आपने पश्चिम बंगाल राज्य के स्टेट वेलफेयर विभाग में अपनी सेवाएं दी। आपका चयन भूतल परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार अधीन शिप बिल्डिंग एण्ड रिपेयर कंपनी में हुआ जहां आपको तकनीकी प्रकृति के कार्यो का अनुभव प्राप्त हुआ।
कोयला उद्योग के इतिहास में एक अध्याय आपका भी जुड़ना था, यही कारण है कि आपकी व्यवसायिक विकास यात्रा ने एक नया रूख लिया और 1 अगस्त, 1994 को आपकी नियुक्ति कोल इंडिया लिमिटेड में हुई। यहां आपकी पदस्थापना ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के केंदा क्षेत्रांतर्गत हरिपुर माइंस में हुई। ईसीएल मुख्यालय सहित विभिन्न खनन क्षेत्रों में मानव संसाधन एवं कार्मिक विभाग से जुड़े कार्यो का दीर्घ अनुभव आपके साथ है। आप औद्योगिक संबंधों, इससे जुड़े मुद्दो के समीक्षा एवं निवारण में पारंगत माने जाते हैं। ईसीएल में एनसीडब्ल्यूए के प्रवाधानों व सुविधाओं से जुड़े दृष्टि पोर्टल के संचालन में आपकी विषेष भूमिका रही।
एसईसीएल में दिनांक 12 जनवरी, 2023 को निदेशक (कार्मिक) के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व आप ईसीएल मुख्यालय में उप महाप्रबंधक के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। इस प्रकार एक दीर्घ अंतराल के बाद एसईसीएल को आपके रूप में एक पूर्णंकालिक निदेशक (कार्मिक) प्राप्त हुआ।
आपके पदभार ग्रहण से मानव संसाधन एवं कार्मिक विभाग में नवऊर्जा का संचार हुआ। आपकी दूरदर्शिता, व्यापक अनुभव, कार्यदक्षता, कार्य-निष्पादन की कुशल कार्य-शैली, प्रबंधकीय क्षमता, कुषाग्रता तथा नित्यशील परिश्रम की विलक्षण क्षमता के फलस्वरुप एसईसीएल लाभान्वित हुआ। आपके नेतृत्व में मानव संसाधन एवं कार्मिक विभाग ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज की।
मानवीय मूल्यों को महत्व देते हुए आपके द्वारा कार्य पर अनुपस्थिति के चिरलंबित 80-प्रकरणों पर त्वरित कार्यवाही करते हुए संबंधित श्रमिकों को कार्य पर जाने की अनुमति प्रदान की। आपके कार्यकाल में कुल 4600 कर्मचारियों को पदोन्नति प्राप्त हुई। कंपनी की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु विभागीय चयन प्रक्रिया द्वारा कर्मचारी संवर्ग के पद जैसे पैरा मेडिकल स्टॉफ, ओव्हरसियर, सर्वेयर, विद्युत पर्यवेक्षक की महत्वपूर्ण रिक्तियों की पूर्ति की गई। साथ ही खुली भर्ती के माध्यम से भी सर्वेयर, फार्मासिस्ट व स्टॉफ नर्स के पद भी भरे गए। साथ ही अधिकारी संवर्ग में चिकित्सकों के 66 पदों को खुली भर्ती के माध्यम भरते हुए चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ता प्रदान की गई। सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए आश्रित रोजगार के तहत 526 एवं भू-आश्रित रोजगार के तहत 704 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। आपकी प्रेरणा से एनसीडब्ल्यूए-11 एवं उनके कार्यान्वयन निर्देषों का वृहद सार संग्रह बनाया गया जो सुगम रूप से एसईसीएल के वेबसाइट पर उपलब्ध है। साथ ही कई कार्मिक संबंधित प्रक्रियाओं की एसओपी भी आपके मार्गदर्षन में बनाई गई है।
 कार्मिक संवर्ग के उच्चतम पद को सुशोभित करते हुए भी आप बड़ी सुहृदयता व आत्मीयता से समस्त आगंतुकों को संबल प्रबल करते रहे हैं जिससे कंपनी के मुखिया डॉ. प्रेम सागर मिश्रा के दृष्टिकोण को क्रियान्वित करते हुए कंपनी प्रबंधन की छवि संवेदनषील एवं संवादशील प्रबंधन के रूप में परिलक्षित हुई है। आपके कुशल नेतृत्व में एसईसीएल को कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से भी नवाजा गया। कोयला मंत्रालय द्वारा सभी कोल कंपनियों में से एसईसीएल को भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान अंतर्गत विषेष अभियान 3.0 के तहत प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ।
सीएसआर व्यय और पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना के क्षेत्र में कार्य हेतु कोल इंडिया स्थापना दिवस के अवसर पर प्रथम पुरस्कार व स्वच्छता पखवाड़ा के क्षेत्र में विषेष उपलब्धि हेतु द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। आपके मार्गदर्शन में ‘‘एसईसीएल के सुश्रुत‘‘ जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं एवं खनन प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी विकास के कार्य संपन्न किए गए जिसने कंपनी को सामाजिक विकास में सहभागी कार्पोरेट सीटीजन के रूप में प्रतिस्थापित किया है। कल्याणकारी गतिविधियों में भी कंपनी द्वारा नए आयाम स्थापित किए गए है। अंतर कंपनी लॉन टेनिस टीम चैम्पियषीप में एसईसीएल विजेता रही एवं अंतर कंपनी फुटबॉल व टेबल टेनिस चैम्पियनशिप में उपविजेता का खिताब प्राप्त किया। मुख्यालय स्थित क्रेच का पुनरोद्धार वात्सल्य गृह के रूप  में किया गया जिससे कामकाजी महिलाओं को आपने दायित्वनिर्वहन हेतु संबल प्राप्त हुआ।
इस प्रकार आपकी छत्रछाया में मानव संसाधन एवं कार्मिक संवर्ग बेहतर से उत्कृष्टता की ओर बढ़ने की अनवरत यात्रा पर अग्रसर रहा। भले ही आपका एसईसीएल में कार्यकाल एक वर्ष का रहा, किन्तु इस अवधि में कंपनी ने मानव संसाधन एवं कार्मिक प्रबंधन के क्षेत्र में निष्चित तौर पर एक उत्कृष्टता की मिसाल कायम की है। साथ ही गर्व का विषय है कि आपके कार्यकाल के दौरान कंपनी के किसी भी प्रतिष्ठान में कोई भी हड़ताल जैसी गतिविधि नहीं हुई जो औद्योगिक संबंध के जटिल विषयों पर आपकी पकड़ का परिचायक है और जिसने मानव संसाधन एवं कार्मिक विभाग को एक सफल व्यवसायिक भागीदार के रूप में परिचय प्राप्त कराया।
आपकी इस उपलब्धिपूर्ण जीवनयात्रा में आपकी जीवन संगिनी श्रीमती शारदा आचार्या की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। श्रीमती आचार्या एक शिक्षित व सुसंस्कृत महिला है। आज वे शासकीय उच्चतर माध्यमिक वि़द्यालय, आसनसोल में एक शिक्षिका के पद पर अपनी सेवाएं दे रही है। कामकाजी महिला होने साथ-साथ श्रीमती आचार्या पारिवारिक-सामाजिक जिम्मेदारियों के बखूबी निर्वहन के लिए एक आदर्श महिला के रूप में जानी जाती है। श्रद्धा महिला मंडल की उपाध्यक्षा का दायित्व संभालते हुए वे समाज कल्याण के कार्यो में  सहभागी रहीं। आपकी विकास यात्रा में भी उन्होंने चरण-दर-चरण महत्वपूर्णं भागीदारी निभाई। आपका एक पुत्र है  – त्रयीमय आचार्या, जो कीम्स, भुवनेश्वर से डेन्टल सर्जरी में इन्टर्नशिप कर रहे है।
(जनसंपर्क विभाग, एसईसीएल का आलेख)

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