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बोहरा समाज बड़ी शिद्दत से मना रहा रमजान, इबादत के अलावा रोजा-इफ़्तार भी घरों पर ही

बोहरा समाज द्वारा घरों में रमजान की इबादत।

तखतपुर। दाऊदी बोहरा समाज तखतपुर द्वारा इस रमजान के महीने को बड़ी शिद्दत से मनाया जा रहा है।  वर्तमान में जब पूरे विश्व में कोरोना महामारी का संकट फैला हुआ है तो लॉक डाउन की स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग का पूर्णत: पालन करते हुए घर में ही खुदा की इबादत की जा रही है।

बोहरा समाज के धर्मगुरु डॉ सैयदना मुफद्दल सैफ़ुद्दीन साहब ने समाज के लोगों को आदेश देकर लाक डाउन का पूरी तरह से पालन करते हुए घरों में ही नमाज पढ़ने की हिदायत दी है।  अपने संदेश में सोशल डिस्टेंस का विशेष ध्यान रखते हुए सरकार द्वारा जारी किए निर्देशों का कड़ाई से पालन करने की  हिदायत समाज के लोगों को दी है।

उन्होंने कहा है कि सभी लोग अपने अपने घरों में ही नमाज अदा करें, कुरान की तिलावत करें, रातों में उठ कर बिहोरी की नमाज अदा करें और रोजा इफ्तार अपने घरों में ही करें। इसके लिए पहले से ही सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई है।

जरूरतमंद लोगों की मदद की अपील

समाज के लोगों के द्वारा समाज के सभी घरों में राशन का सामान के अलावा अन्य सभी आवश्यक चीजें धर्मगुरु की इच्छा अनुसार पहुंचा दी गई है जिससे इस पवित्र महीने में समाज के लोग खुदा की इबादत अपने घरों में सुकून के साथ कर सकें। इसके अतिरिक्त धर्मगुरू डॉ सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब ने इस संकट की घड़ी में देश के जरूरतमंद लोगों की अधिक से अधिक मदद करने की अपील समाज के लोगों से की है तथा स्वयं भी प्रधानमंत्री राहत कोष में 53 करोड़ रु की सहायता राशि प्रदान की है।

धर्मगुरु के द्वारा बड़े स्तर पर ऑनलाइन इबादत की सहूलियत दी गई है। अपनी दुआओं में उन्होंने खास रूप से इस बीमारी के संक्रमण को बताते हुए इससे हर देशवासी को बचाने की कोशिश करने को प्राथमिकता दी है। तखतपुर बोहरा समाज के लोग भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए रमजान के पवित्र महीने में खुदा की इबादत  धर्मगुरु की इच्छा अनुसार अपने-अपने घरों में रहकर कर रहे हैं।

संयम और समर्पण का महीना

साल के बारह महीनों में रमजान का महीना पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए खास मायने रखता है। यह महीना संयम और समर्पण के साथ इबादत का महीना माना जाता है। खुदा की रहमतों बरकतों को अन्य महीनों की अपेक्षा कई गुना बढ़ा देता है । पूरे विश्व में मुसलमानों द्वारा इस महीने को अत्यंत पवित्र मानकर पूरे तीस दिन खुदा की इबादत की जाती है। रोजे रखकर जकात अदा कर, नेकी के काम कर, पांचों वक्त की नमाज पढ़कर, कुरान ख्वानी कर खुदा की खुशी हासिल की जाती है।

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