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हथखोज औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों की झोपड़ी तोड़ने पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई, तीन सप्ताह में मांगा जवाब

हथखोज इंडस्ट्रीयल एरिया के मजदूरों के घरों में की गई तोड़फोड़। हाईकोर्ट से स्टे मिला।

बिलासपुर। चरौदा नगर निगम के हथखोज में उद्योग विभाग द्वारा झोपड़ियों से की जा रही बेदखली की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इस बारे में शासन को तीन सप्ताह में जवाब देने के लिये कहा गया है। अगली सुनवाई 17 अगस्त को रखी गई है।

हथखोज औद्योगिक प्रक्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के 100 परिवार करीब 40 वर्षों से यहां रहते हैं। इनका कहना है कि उद्योगों को अपने कर्मचारियों के लिये कॉलोनी बनाकर देने का प्रावधान है, किन्तु इसका पालन नहीं किया गया है। इसलिये मजबूरी में उन्हें उद्योग विभाग की जमीन पर झोपड़ियां बनाकर रहना पड़ रहा है। उद्योग विभाग ने 17 जुलाई से इन्हें हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी थी। इस बीच नेशनल एलायंस ऑफ प्यूपिल मूवमेंट की मेधा पाटकर ने भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर बेदखली की कार्रवाई रोकने की मांग की थी। कार्रवाई नहीं रुकने पर अधिवक्ता शालिनी गेरा व प्रियंका शुक्ला के माध्यम से छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर आज चीफ जस्टिस पी.आर. रामचंद्र मेनन की डबल बेंच में अर्जेन्ट हियरिंग हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के उद्योगों में ही काम करने वाले मजदूरों की 100 से अधिक झोपड़ियां उजाड़ी जा रही है। इनके लिये आवास उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी कम्पनियों की है और इसका पालन कराना उद्योग विभाग का काम है। उद्योगों से आवास दिलाने के बजाय विभाग उन्हें बेदखल कर रहा है।

हाईकोर्ट ने बेदखली की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए शासन से तीन सप्ताह में जवाब देने कहा गया है, जिसमें बताना होगा कि हटाये जा रहे मजदूर परिवारों के लिये क्या वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी।

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