Home अपडेट सीवीआरयू में लोककला महोत्सव का रंगारंग आगाज

सीवीआरयू में लोककला महोत्सव का रंगारंग आगाज

सीवीआरयू कोटा के लोक कला महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर मंचस्थ अतिथि।

मुख्य अतिथि अरूण साव व विशिष्ट अतिथि शैलेष पाण्डेय ने की शिरकत

बिलासपुर । डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में रामन् लोक कला महोत्सव-2020 रंगारंग आगाज 28 फरवरी की शाम को  हुआ। महोत्सव के पहले दिन प्रदेश के लोक कलाकारों ने झमाझम प्रस्तुति दी और छत्तीसगढ की संपूर्ण छटा सीवीआरयू में बिखेरी। छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति और मेले संस्कृति में सभी सराबोर रहे और देर रात तक आनंद लिया। यहां छत्तीसगढ़ी लोककला, छत्तीसगढ़ी परिधान, छत्तीसगढ़ी व्यंजन, छत्तीसगढ़ी हस्त कला, सरकारी व गैर सरकारी विभागों ने भी अपने स्टाल लगाकर छत्तीसगढ़ी संस्कृति को सबके सामने रखा।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित बिलासपुर सांसद अरूण साव ने कहा कि डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय यहां लोक कलाकारों को मंच और अवसर प्रदान कर है। निश्चित ही यहां के कलाकार देश और विदेश में अपनी प्रतिभा का परचम लहराएंगे। इस बात के पूरा छत्तीसगढ़ और यहां के लोक कलाकर विश्वविद्यालय के ऋणी रहेंगे।

कार्यक्रम में उपस्थित कार्यक्रम के अध्यक्ष संतोष चौबे ने कहा कि विष्वविद्यालय के आदिवासी अचंल में स्थापित करने का एक उद्देश्य यह भी है कि लोक कला को संरक्षित एवं संवर्धित किया जाए। इसलिए ही पिछले साल से यह महोत्सव आयोजित किया गया है, जो काफी लोकप्रिय भी हुआ है। आज रूरल टैक्नालॉजी, परंपराए, शिक्षा, संस्कृति और कला को फिर से देखने की जरूरत है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि मनुप्य को जीवन में सफल होने के लिए कला, संगीत एवं साहित्य को आत्मसात करना चाहिए। ऐसे आयोजन इस बात की प्रेरणा देंतें हैं, जिसमें कलाओं का संगम होता है। इस अवसर कथक की दृश्य एवं प्रचार निदेशालय दिल्ली से आई डॉ.चित्रा शर्मा ने लोगों को संबोधित किया। लोककला महोत्सव के पहले दिन डॉ. मानव महंत एवं समूह ने अलबेला रायगढ़ की षानदार प्रस्तुति दी। हितेंद्र वर्मा ने छत्तीसगढ़ी फोक बैंड-5 मितान प्रस्तुत किया, छत्तीसगढ़ी को लोगों ने नए रूप में सुना। लोककला मंच के हिलेंद्र ठाकुर व समूह और रामाधार साहू द्वारा लोरिक चंदा ने कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इसके बाद सीवीआरयू के रावत नाच दल से सभी के पैर थिरकने पर मजबूर कर दिया।

रजनी वर्मा ने अपने चिर परिचित अंदाज में पंडवानी सुनाई।  टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र द्वारा समूह नृत्य प्रस्तुत किया गया।  इस अवसर पर सम कुलपति प्रो. पी.के.नायक, दूरवर्ती शिक्षा के निदेशक अरविंद तिवारी, प्राचार्य डॉ मनीष उपाध्याय सहित सभी विभागों के विभागाध्यक्ष,प्राध्यापक और विद्यार्थी व अचंल के लोग उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ का गौरव का है डॉ.सी.वी.रामन विवि-शैलेष

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित बिलासपुर विधायक शैलेष पाण्डेय ने कहा कि उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के साथ कला संस्कृति का सरंक्षण एवं संर्वधन भी विवि का उद्देश्य है। यह विवि अपने उद्देश्य में निरंतर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि विवि के कुलाधिपति संतोप चौबे ने छत्तीसगढ़ को उर्जावान और प्रगतिशील विवि दिया है। पाण्डेय ने कहा कि अब डिजिटल एजुकेशन का समय आ रहा है। इसमें भी सीवीआरयू के अग्रणी विवि के रूप में स्थापित होगा। उन्होंने विवि में अपने कुलसचिव रहने के दिनों को याद भी किया।

गांव व आदिवासी अचंल के बिखरी संस्कृति का संयोजन एवं संवर्धन जरूरी-गौरव

विष्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि गांव व आदिवासी समाज में बिखरी संस्कृति के संयोजन और संर्वधन की जरूरत है। साथ ही भावी पीढ़ी को इसके मूल में ही हस्तांरित किया जाए यह बात भी जरूरी है। विवि में इसके लिए छत्तीसगढ़ी शोध एवं सृजनपीठ की स्थापना की गई। विवि में नृत्य, संगीत और नाटक की कक्षाएं भी जल्द ही षुरू की जाएगी।

 

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