सेव इंडियन फैमिली ने लैंगिक समानता के अधिकार के लिए दायर की है पीआईएल, हर सप्ताह मिलते हैं दुख-दर्द बांटने

Ankit pandey @bilaspurlive.com

जयरामनगर के हरीश की पत्नी ने उसके खिलाफ शादी के 6 साल, पिछले बरस बाद दहेज प्रताड़ना का जुर्म दर्ज करा दिया और मायके चली गई। उसे जेल जाना पड़ा। सोहन अपने दोनों बच्चों से मिलना चाहता है, जिनमें से एक सिर्फ एक साल का है। वह जेल से आने के बाद अपने बच्चों का चेहरा नहीं देख पाया है। पर पत्नी और उसके मायके वालों से सम्पर्क करने से घबरा रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं मायके वाले उनके खिलाफ कोई और अपराध दर्ज न करा दे।  सीपत के बलराम की पत्नी ने भी पहले उसके खिलाफ अपराध दर्ज करा दिया था। इसके पहले वह अपने परिवार को बचाने के लिए अपने बीमार पिता से दूर किराये का घर लेकर रहने लगा लेकिन बात नहीं बनी और तलाक हो गया। तलाक के बाद भी स्वाभाविक रूप से बच्चों से उसका मोह नहीं छूट पाया। एक दिन वह पत्नी के पास बच्चों से मिलने चला गया तो पत्नी

ने उसके खिलाफ थाने में शिकायत कर दी।

कोन्हेर गार्डन में हर सप्ताह मिलते है दहेज प्रताड़ना के झूठे मामलों से प्रताड़ित लोग

पीड़ित पतियों के नाम उनके आग्रह पर बदल दिए गए हैं। इनकी तरह कई पुरुष हर सप्ताह रविवार के दिन शहर के कोन्हेर गार्डन में पहुंचते हैं। वे आपस में अपनी समस्या और अनुभव साझा कर एक दूसरे की मदद की कोशिश करते हैं। इन पुरुषों ने महिलाओं के पक्ष में बनाए गए कानूनों के दुरुपयोग के खिलाफ अभियान चला रखा है।  वे न सिर्फ अपने ऊपर कसे कानूनी फंदों से छुटकारा पाने की कोशिश करते हैं बल्कि यदि कोई दूसरा परिवार टूट रहा हो तो उसे बचाने के लिए पहल करते हैं।

यह समूह एक राष्ट्रीय संगठन ‘सेव इंडियन फैमिली’ से जुड़ा हुआ है। पारिवारिक कलह से विशेषकर पत्नियों और उनके ससुराल वालों से पीड़ित लोगों का वे परामर्श देते हैं। कई विवाहितों की माताएं और उनके परिवार की महिलाएं भी इस सभा में पहुंचती हैं।

बिलासपुर इकाई के अध्यक्ष विकास परिहार को खुद वैवाहिक जीवन का बुरा अनुभव रहा है। वे कहते हैं कि हम पुरुषों के अधिकारों को लेकर लड़ रहे हैं। हम ‘जेंडर न्यूट्रिलिटी’ का हक चाहते हैं। न्याय सबके लिए बराबर होना चाहिए। अभी यह होता है कि पुरुषों के खिलाफ ससुराल वालों द्वारा अपराध दर्ज करते ही पुलिस उनको गिरफ्तार कर लेती है। न सिर्फ पति को बल्कि उनके परिवार के दूसरे सदस्यों को भी। इनमें भी महिलाएं होती है। कई बार कोई पत्नी अपने ससुराल की सभी महिलाओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा देती है। महिला के पक्ष में कहा जाने वाला यह कानून महिलाओं के खिलाफ चला जाता है।

परिहार ने कहा कि दहेज प्रताड़ना के झूठे मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दे रखा है कि बिना जांच और उचित फोरम में परामर्श बैठक होने बगैर के किसी की गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। पर पुलिस रिश्वत पाने के लिए जबरदस्ती गिरफ्तारी कर लेती है और वर्षों तक पति और उसके घर के लोग जेल तथा अदालत में पिस जाते हैं। इससे उन्हें आर्थिक क्षति तो होती ही है, सामाजिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ता है।

शुरू में पांच लोगों से शुरू किए गए इस संगठन में अब 20-25 लोग नियमित तौर पर आते हैं। उन्हें अवसाद, अकेलेपन से यहां आकर छुटकारा मिलता है और मौजूदा परिस्थिति से लड़ने की हिम्मत मिलती है।

महिलाओं की तरफ कानून के झुके होने के कारण ससुराल पक्ष छोटी-छोटी बातों को तूल देते हैं, चाहे इसमें पति की गलती बिल्कुल नहीं हो। नौबत तलाक की आ जाती है।

परिहार का कहना है कि ऐसा नहीं है कि हम सिर्फ पुरुषों को सही ठहराने पर अड़े रहते हैं। हमारे सामने आने वाले मामलों में हम प्रयास करते हैं कि दोनों पक्षों की बात सुनी जाए और वे परिवार को टूटने नहीं दें।

संगठन ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय में एक जनहित याचिका भी दाखिल की है जो स्वीकार कर ली गई है। थानों में सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश भेजा जा चुका है, जिसमे कहा गया है की जिन अपराधों में 7 साल से काम सजा है उन मामलो में पहले 41 अ के तहत नोटिस भेजा जाए और उसके बाद गिरफ्तारी की जाए। इसका छत्तीसगढ़ में पालन नहीं हो रहा है।

सेव इंडियन फेमली का कहना है की महिलाओ के लिए बने कानून के दुरपयोग से कई पुरुष मानसिक व आर्थिक रूप से टूट जाते है। आरोप झूठे साबित होने पर भी संबंधित महिला को कोई सजा नहीं होती पर पुरुष और उसका घर बर्बाद हो जाता है।  हम इसलिए अदालत गए हैं ताकि कोई भी वर्ग प्रताड़ित न हो सभी को समानता का अधिकार मिल सके।

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