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पिता से रेप का शिकार हुई बच्ची दो माह से सीडब्ल्यूसी के कब्जे में, मां धरने पर बैठी  

रेप पीड़िता की मां कलेक्टोरेट के सामने धरने पर।

समिति पर रसूखदार आरोपी की तरफदारी करने का आरोप

बिलासपुर। अपने ही पिता से रेप का शिकार होने वाली 9 साल की बच्ची को मां अपने सुपुर्द में लेने के लिए लगातार भाग-दौड़ कर रही है, पर बाल संरक्षण समिति तरह-तरह के बहाने बनाकर उसे लौटा रही है। बच्ची को वापस पाने के लिए मां कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठ गई  है।  

दो माह पहले यह घटना हुई थी। रायगढ़ के एक उद्योगपति की पत्नी ने एसएसपी पारुल माथुर के पास शिकायत दर्ज कराई थी कि उसका अपने पति से विवाद था। वह शराब पीकर मारपीट करता था जिसके चलते वह अपने 9 साल की बेटी को साथ लेकर बिलासपुर अपने मायके आकर रहने लगी। इसके बाद पति मिलने के लिए मायके आने लगा। यहां पर वह उससे व बच्ची से अच्छा व्यवहार करने लगा। बेटी को वह अपने साथ घुमाने के लिए भी ले जाने लगा। अक्टूबर माह में बेटी ने मां को बताया कि पिता ने उसके साथ गलत हरकत की है। वह सन्न रह गई। एसएसपी ने महिला की व्यथा सुनकर महिला थाने को एफआईआर लिखने का निर्देश दिया। पीड़िता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने बताया कि एफआईआर के बाद  बच्ची की काउंसलिंग कराई गई। बच्ची को बाल संरक्षण समिति ने अपने संरक्षण में ले लिया। पीड़ित बच्ची का धारा 164 के तहत बयान हो चुका है। जब लगातार प्रयास के बाद भी बेटी वापस नहीं मिली तो मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, तब कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर मामले के निराकरण का आदेश दिया था। यह अवधि बीत जाने के बाद भी पीड़ित बच्ची मां के सुपुर्द नहीं की गई है। समिति से संपर्क करने पर तरह-तरह के बहाने बनाए जा रहे हैं। पहले यह कहा गया कि यह उनके दादा पक्ष को देंगे, मां पक्ष को नहीं। अब यह कहा जा रहा है कि बच्ची को रायगढ़ भेजेंगे, क्योंकि उसका आधार कार्ड वहीं का है। पीड़ित बच्ची की मां का कहना है कि पिता पर ही रेप का अपराध दर्ज कराने वाली बच्ची को दादा के पास कैसे सौंपा जा सकता है। बच्ची मां के साथ रहती है, उसका दाखिला भी बिलासपुर के ही स्कूल में कराया गया है।

इधर बाल संरक्षण समिति जज के सामने 164 का बयान हो जाने के बाद भी मानने के लिए तैयार नहीं है कि बच्ची के साथ पिता ने कुछ किया होगा। समिति के पदाधिकारी कह रहे हैं कि बच्ची को मां ने सिखाकर बयान दिलाया। दो माह से बच्ची समिति के कब्जे में है।

पीड़ित मां ने कहा कि चूंकि ससुराल वाले रागयढ़ के रसूखदार लोग हैं, समिति के सदस्य एकतरफा काम कर रहे हैं। इधर बच्ची का रो-रोकर बुरा हाल है। वह अवसाद से घिर रही है। समिति के कब्जे में उसे लग रहा है जैसे वह जेल में हो। वह मिलने जाती है तो बार-बार पूछ रही है कि मां मैं यहां क्यों कैद में हूं। मुझे घर ले चलो।

अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने कहा कि बच्ची के सुपुर्द करने के प्रकरण का निराकरण नहीं करने को लेकर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है। कलेक्टर से भी आज फरियाद की गई है। न्याय की मांग करते हुए वह धरने पर बैठ गई है।

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