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विराट के परिचितों ने किया था अपहरण, छह करोड़ रुपये फिरौती मांगी थी, बंद अंधेरे कमरे में मिला कैद

पुलिस महानिरीक्षक प्रदीप गुप्ता, अधीक्षक अभिषेक मीणा व अपने पिता के साथ विराट।

तीन गिरफ्तार, और भी करीबियों के शामिल होने का संदेह

बिलासपुर । पुलिस ने अपह्रत बालक विराट सराफ को मुक्त कराने के लिए बीते पांच दिनों के भीतर आरोपियों के बड़ी चालाकी से बुने जा गये हर पुख्ता जाल को अपनी अचूक रणनीति के तहत ध्वस्त कर दिया और शुक्रवार को उसे सकुशल छुड़ा लिया गया। विराट के परिजन से छह करोड़ तक की फिरौती मांग शुरू की गई थी। उसे पांच दिनों तक एक अंधेरे मकान में डरा-धमकाकर कैद करके रखा गया था। इस मामले में तीन आरोपी गिरफ्तार किये गए हैं। घटना की साजिश रचने वाले छत्तीसगढ़, बिहार और यूपी से सम्पर्क रखते हैं। इन पर पहले के भी कुछ आपराधिक  मामले होने का पता चला है।

पुलिस महानिरीक्षक प्रदीप गुप्ता और पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने आज शाम मंथन सभा कक्ष में पत्रकारों को विराट को अपहरणकर्ताओं से सुरक्षित छुड़ाने की घटना का ब्योरा दिया। उन्होंने बताया कि  20 अप्रैल की रात को अपहरण की सूचना मिलते ही पुलिस सभी स्तरों पर सक्रिय हो गई थी। पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की टीम इसके लिए गठित की । पुलिस के लिए विराट की सकुशल वापसी एक बड़ी चुनौती थी। शहर में लोगों का गुस्सा और असंतोष बढ़ता जा रहा था, पर पुलिस के कई दल जवाबदेही के साथ चरणबद्ध तरीके से विराट को सुरक्षित लाने के लिए कदम उठा रही थी।

गुप्ता ने बताया कि बच्चे के अपहरण की सूचना मिलने पर वे स्वयं घटनास्थल पर तुरंत पहुंचे । सीसीटीवी फुटेज में सफेद वैगन आर के पहुंचने और एक गमछा लपेटे हुए व्यक्ति द्वारा भाजपा कार्यालय के सामने स्थित विवेक सराफ के घर के सामने से उसे छह साल के बेटे को उठाकर वाहन में जबरन ले जाने की घटना को देखा गया पर आगे वाहन का लोकेशन नहीं मिला। इससे जांच आगे नहीं बढ़ सकी। यह वैगन आर स्टेशन के बाद दिखाई भी नहीं दे रही थी।

खुलासा होने तक जो बात मीडिया तक नहीं पहुंचाई गई थी वह ये थी कि  घटना  के अगले दिन 21 अप्रैल को ही अपहरणकर्ताओं ने विवेक सराफ को फोन करके छह करोड़ रुपये फिरौती मांगी। पुलिस की साइबर सेल से पता चला कि जिस हैंडसेट से बात की जा रही है वह पुराना है। जिन दो सिम कार्ड के जरिये बात हो रही थी, वह एक गुपचुप बेचने वाले का निकला। पुलिस को सबसे पहले उसी पर संदेह हुआ। पर उसने इस बारे में कुछ भी पता होने से इंकार किया। पुलिस ने अपने स्तर पर तहकीकात की तो पाया कि वाकई ये दोनों सिमकार्ड ठेले वाले के नाम जारी तो हुए थे पर दिसम्बर महीने के बाद उसमें रिचार्ज ही नहीं हुआ था, अपहरण के आसपास ही उसे रिचार्ज कराया गया था। ठेले वाले के पास बहुत साधारण फोन था, जिससे वह टार्च के रूप में ज्यादा इस्तेमाल करता है। इस फोन के दोनों सिम कार्ड गायब थे। ठेले वाले ने बताया कि कुछ दिन पहले उसके फोन के टार्च का इस्तेमाल करने के लिए एक व्यक्ति ने थोड़ी देर के लिए उसका फोन लिया था, उसके बाद वापस दे दिया था। ठेले वाले को भी पुलिस की जांच के  समय पता चला कि उसका सिम कार्ड गायब है। जिस मोबाइल सेट से अपहरण करने वालों ने फोन किया था, उसे चकरभाठा से खरीदा गया था, यह डिटेल भी साइबर सेल की टीम को मिल गया। दुकानदार से पता चला कि उसने पुराने मोबाइल फोन भेजने का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा है न ही उसकी दुकान की सीसीटीवी में इसे खरीदने वाले की कोई जानकारी मिल सकी। सिम कार्ड बिलासपुर का था लेकिन जब इससे कॉल किया गया तो कॉल करने वाले का लोकेशन झारखंड जिले के बिहार का बताया गया।

जांच अधिकारियों को समझ में आ गया कि अपहरणकर्ताओं ने पूरी व्यूह रचना के साथ साजिश रची है। उन्होंने एक-एक तथ्य को जुटाने में सावधानी बरतनी शुरू कर दी। आई जी गुप्ता ने कहा कि पहले कॉल में मांगी गई छह करोड़ रुपये की रकम को जानकर जांच दल को हैरानी हुई। विवेक सराफ के पास बर्तन और स्क्रैप का काम है लेकिन बाहर का कोई व्यक्ति नहीं समझ सकता कि उनकी हैसियत छह करोड़ रुपये भी जुटा पाने की है। ऐसी आशंका हुई कि विवेक की हैसियत को करीब से जानने वाले इसमें शामिल हो सकते हैं। 23 अप्रैल को फिर विवेक  के पास अपहरण कर्ता का कॉल आया। पुलिस के बताये अनुसार छह करोड़ रुपये देने में  विवेक ने असमर्थता जताई। तब अपहरण कर्ता सलाह देने लगा कि अपने फलां रिश्तेदार, या व्यापारी भाई से रकम जुटा लो। अब पुलिस को यकीन हो गया कि इस अपहरण में वे लोग शामिल हैं जो उसे करीब से जानते हैं। यह कॉल कुशीनगर उत्तरप्रदेश के लोकेशन से दो तीन बार की गई। फिर अगले दिन 24 अप्रैल को देवरिया बिहार के लोकेशन से कॉल आया। छह करोड़ रुपये फिरौती की मांग घटकर डेढ़ करोड़ तक पहुंच चुकी थी। इसके बावजूद पुलिस इस मामले में अपहरण करने वालों के स्थानीय कनेक्शन तक पहुंचने की कोशिश की, क्योंकि विराट को शहर से बाहर ले जाये जाने का थोड़ा भी संकेत अब तक नहीं था।

पुलिस ने अब उसके समान कारोबार करने वालों की गतिविधियों की जानकारी जुटानी शुरू की। पता चला कि राजकिशोर सिंह नामक स्क्रैप कारोबारी का घर पन्ना नगर, गौरव पथ में है। वह दिखाई नहीं दे रहा है। राजकिशोर के घर में नीचे कुछ महिलाएं रहती हैं, जबकि ऊपर का कमरा पूरी तरह से बंद था, जिसमें ताला लगा हुआ था। वहां वह कार भी दिखी जो सीसीटीवी फुटेज में दिखी कार जैसी है। पुलिस को सूचना मिली कि यह बंद घर ही राजकिशोर का है जिसमें विराट को बंधक बनाकर रखे जाने की आशंका है। पुलिस को पहले ही संदेह था कि विराट को शहर से बाहर नहीं ले जाया गया है क्योंकि पुलिस ने घटना के बाद शहर में करीब 70-80 जगहों पर वाहनों की चेकिंग शुरू कर रखी थी।

पुलिस ने तैयारी इस तरह से की कि विराट को किसी तरह की क्षति न पहुंचे। पुलिस ने 25 तारीख की शाम को शहर की पुलिस को अलर्ट किया और उन्हें घेराबंदी तैयार रखने कहा। उसके बाद पन्नानगर जो एक घनी बस्ती है, को घेरा गया फिर मकान को घेरकर पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा के नेतृत्व में टीम भीतर घुस गई। ऊपर उन्होंने पाया कि छोटे-छोटे तीन चार कमरे थे। बाहर से ताला लगा हुआ था और भीतर अंधेरा था। एक खिड़की थी, जिसके जरिये भीतर हलचल होने का पता चला। ताला तोड़ पुलिस भीतर घुस गई। वहां दूसरे आरोपी विशाल सिंह उर्फ हरे कृष्णा को विराट के साथ राजकिशोर ने रख छोड़ा था। विशाल सिंह पुलिस को देखते ही भागने लगा। वह कई घरों की छतों से कूदकर भागने की कोशिश में घायल हो गया लेकिन पुलिस ने उसे दबोच लिया। इधर एस पी मीणा और उनकी सहयोगी टीम ने विराट को अपनी सुरक्षा में लिया और सुबह करीब पांच बजे उसे उसके घर ले जाकर परिजन को सौंप दिया।

पुलिस ने विशाल से पूछताछ के बाद रतनपुर के सतीश शर्मा और बेमेतरा के अनिल सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया। ये सब विराट का अपहरण की योजना में शामिल थे। विराट को उठाकर लाने के लिए विशाल, सतीश और अनिल घर के पास पहुंचे। अनिल ने कार से उतरकर विराट को अपने कब्जे में लिया और वे सब कार में उसे बिठाकर रेलवे एरिया की तरफ गये। राजकिशोर वहां पर अपनी डस्टर व्हीकल पर उनका इंतजार कर रहा था। विराट को उसी डस्टर में शिफ्ट कर दिया गया, ताकि विराट को ले जाने वाली गाड़ी के मूवमेंट का पता न चले। इसके बाद वे सभी राजकिशोर के घर पहुंचे और यहां पर विराट और विशाल को पहले से तैयार रखे गये कमरे में बंद कर दिया गया। जिस ऊपरी मंजिल पर राजकिशोर रहता था, वह छोटे-छोटे तीन चार कमरों का घर है। विराट को चुप रहने के लिए धमकाया जाता था। उसे एक खिड़की के जरिये पानी बिस्कुट आदि पहुंचाया जाता था। वह बार-बार अपने घर में मां-पिता से बात कराने के लिए कहता था लेकिन उसे आश्वासन देकर रखा गया था। इस कमरे की लाइट भी बंद रखी जाती थी ताकि यहां किसी के होने के बारे में पता न चले। विराट अभी दहशत में है।

पूरी योजना राजकिशोर ने अनिल सिंह के साथ मिलकर बनाई थी, जिसका भी स्क्रैप का काम है। अनिल सिंह की विवेक सराफ और दूसरे कारोबारियों से बातचीत होती थी। पहले वे सत्यनारायण सराफ के घर से बच्चे को उठाना चाहते थे। उनके यहां भी रैकी की गई थी, पर उनका परिवार किसी काम से शहर से बाहर गया था, तब विवेक सराफ के बेटे के अपहरण का निर्णय लिया गया। राजकिशोर ने बिहार से आने के बाद बिलासपुर में कारोबार के लिए घर ले लिया था। अनिल सिंह भी बिहार का है, जो अपने आपको अब बेमेतरा का बताता है।  फिरौती मिलने के बाद आरोपियों की योजना था कि विराट को शहर से बाहर किसी जगह से ट्रेन पर बिठा दिया जाता।

पुलिस महानिरीक्षक गुप्ता ने बताया कि अभी इस मामले में और भी लोगों के शामिल होने की आशंका है। पहला लक्ष्य विराट को सकुशल उनके माता-पिता तक पहुंचाना था। राजकिशोर की धरपकड़ के लिए पुलिस टीम लगी हुई है। बाकी गिरफ्त आरोपियों से जानकारी जुटाई जा रही है कि इसमें और कौन कौन शामिल हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या कोई रिश्तेदार या महिलाएं भी विराट के अपहरण में शामिल थीं, उन्होंने कहा कि इस बारे में वे अभी कुछ नहीं कह सकते। जांच चल रही है।

 

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