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“कोल इंडिया के हितों पर असर नहीं डालेगी कमर्शियल माइनिंग बल्कि आयात पर निर्भरता घटेगी”

केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी।

कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पत्रकारों से कहा

बिलासपुर। कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि कोल इंडिया के कोयले का उत्पादन बढ़ाने के लिए हाल ही में सरकार ने कंपनी को 16 नये कोल ब्लॉक आबंटित किये हैं। भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर और ब्लॉक आबंटित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि कोयला क्षेत्र में कमर्शियल माइनिंग शुरू करने से कोल इंडिया  के हितों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा बल्कि भविष्य में भी देश की बढ़ती हुई ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयला आपूर्ति का मुख्य स्त्रोत कोल इंडिया बना रहेगा। कमर्शियल माइनिंग का उद्देश्य बढ़ी हुई मांग को पूरा करना और कोयला आयात पर देश की निर्भरता को कम करना है।

नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए जोशी ने कहा कि भारत सरकार अपनी सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) को और मजबूत बनाने एवं उसके विस्तार के लिए निरंतर कटिबद्ध है। इन्हीं प्रयासों के तहत कंपनी को 16 नए कोयला ब्लॉक आबंटित किए हैं। इस के साथ कोल इंडिया के पास अब 463 कोयला ब्लॉक हो गए हैं और कंपनी का खनन योग्य कोयला रिजर्व बढ़कर 52,000 मिलियन टन हा गया है।

वित्तीय वर्ष 2018-19 में कोल इंडिया ने 606 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया था, जिसमें 488 मिलियन टन कोयले की सप्लाई तापीय बिजली उत्पादन के लिए की गई थी। देश की तापीय बिजली की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर, कोल इंडिया के पास उपलब्ध खनन योग्य कोयला भंडार से देश की आगामी 100 वर्षों से अधिक तक की तापीय बिजली बनाई जा सकती है।

जोशी ने कहा कि कोलइंडिया को वित्तीय वर्ष 2023-24 में एक हजार मिलियन टन यानी एक बिलियन टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य दिया गया है।

देश को विकास के पथ पर और भी तेजी से आगे बढ़ाने के लिए आगामी 30-40 वर्षों में बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए कोयले की मांग भी बढ़ेगी।

गौरतलब है कि कोल इंडिया विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादन कंपनी है। कोल इंडिया अकेले भारत का लगभग 82 प्रतिशत कोयला उत्पादित करती है। कोयला खनन की लागत कम करने, उत्पादकता बढ़ाने एवं खनिकों की कार्य सुरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए कोल इंडिया तेजी से अपनी खदानों में नवीनतम तकनीक से युक्त मशीनों का प्रयोग बढ़ा रही है।

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