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सीवीआरयू सांस्कृतिक छटा से सराबोर, छत्तीसगढ़ी लोक कला व गायन, नाट्य की शानदार प्रस्तुति

डॉ. सीवी रामन् यूनिवर्सिटी में लोक महोत्सव का दूसरा दिन।

तखतपुर विधायक रश्मि सिंह ने किया दूसरे दिन के उत्सव का उद्घाटन

बिलासपुर। डॉक्टर सी वी रमन विश्वविद्यालय में चल रहे लोककला महोत्सव के दूसरे दिन लोक कलाकारों ने छत्तीसगढ़ी लोक गीत और लोक संगीत की झमाझम प्रस्तुति दी। इसी तरह नाट्य दल अभिनय छत्तीसगढ़ की बात को लोगों के सामने रखा। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का सभी ने आनंद लिया और प्रदर्षनी के माध्यम से प्रदेश की माटी को जाना समझा।

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तखतपुर विधायक रश्मि सिंह ने कहा कि अपनी संस्कृति से हर किसी का लगाव होता हैं। हर देश और राज्य की संस्कृति उसकी अपनी संस्कृति होती है। डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय अग्रेंजी पद्ति की शिक्षा साथ संस्कृति और लोककला की भी शिक्षा दे रहा है। यह पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है। सिंह ने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के अनेक कलाकारों को याद करके उनकी बातें साझा की। उन्होंने इस आयोजन के लिए विवि परिवार को बधाई दी।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ.विनय कुमार पाठक ने कहा कि इस आयोजन के विवि ने पूरे प्रदेश में अच्छा संदेश दिया है। महोत्सव से कलाकारों को मंच मिलेगा। विवि छत्तीसगढ़ी संस्कृति, कला और साहित्य को संजोने का ऐतिहासिक कार्य कर रहा है। कार्यक्रम में विवि के सम कुलपति प्रो.डॉ.पी.के.नायक और विनय उपाध्याय ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर भोपाल से आए कथाकार एवं संपादक समावर्तन मुकेश वर्मा, कवि एवं गद्यकार बलराम गुमास्ता, आईसेक्ट के निदेशक नितिन वत्स  और वनमाली सृजनपीठ के अध्यक्ष सतीष जायसवाल व  विश्वविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, विद्यार्थी सहित हजारों की संख्या में अंचल के लोग उपस्थित थे।

विवि के कुलाधिपति और कार्यक्रम के अध्यक्ष संतोष चौबे ने एक संदर्भ को याद करते हुए बताया कि भारतीय सबसे अधिक खुश इसलिए रहते हैं, क्योंकि हमें अपनी मिट्टी की खुश्बू की समझ है। हमें अपनी प्रकृति के साथ जीवन जीना आता है, हमें पशु- पक्षियों के व्यवहार का भी ज्ञान है हमें मानवीय मूल्यों की जानकारी है। यह बातें अपनी लोककला और संस्कृति को समझने वाले ही समझ सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले हमें अपनी मिट्टी से जुड़ना होगा। प्रसन्नता की खोज के लिए मिट्टी से जुड़ना होगा। यह आयोजन इस दिशा में ही एक कदम है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि रामन् लोक कला महोत्सव सभी विद्यार्थियों के जीवन में रस घोलेगी। यह महोत्सव जीवन आनंद के साथ विद्यार्थियों के जीवन में मूल्यों को भी जागृत करेगा। इस मंशा से ही महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। सीवीआरयू लोक कला , संस्कृति, लोक परंपरा को सरंक्षित व संवर्धित करने के लिए संकल्पित है।

कार्यक्रम में रायपुर से आए राकेश तिवारी और साथियों ने राजा फोकलवा नाटक का मंचन किया। इस लोक नाटक में संदेश दिया गया कि अच्छे काम का फल अच्छा होता है और बुरे काम का बुरा। इसी तरह बिलासपुर के लक्ष्मी पाटील और साथियों ने लोक कला और संस्कृति की रंगारंग प्रस्तुति दी। बेलगहना से आए नरेंद्र यादव एवं साथियों ने करमा नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी।

रामन् लोक महोत्सव में छत्तीसगढ़ के लोक कला संस्कृति से संबंधित स्टॉल लगाए गए हैं, जिसमें की प्रदेश सराकर की योजनाओं की भी झलक नजर आ रही थी। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा नरवा घुरबा बाड़ी पर केंद्रित प्रदर्शनी लगाई गई।  जिसमें सरकार की मंशा को दर्शाया गया कि सरकार की इस योजना के फायदे क्या होंगे। विवि के ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से हर्बल गार्डन और बाड़ी की फसल का स्टॉल भी लगाया गया । इसमें विद्यार्थियों, किसानों को हर्बल फसल उत्पादन की जानकारी दी गई।  इसी तरह माटी कला, कोसा आर्ट, छत्तीसगढ़ी व्यंजन,पर्रा, सूपा, छत्तीसगढ़ी परिधान सहित अनेक प्रदर्शनी ने सभी को मोहा।

 

 

 

 

 

 

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