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कोरी बांध के नीचे खेती के लिए आबंटित जमीन से बेदखली, पीड़ित किसानों ने एसपी से मदद की गुहार लगाई

कोरी डेम कोटा के किसान।

करगीरोड (कोटा) कोटा तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत परसदा के पीपरखुंटी ,मानपुर एवं कोरी के 100 से अधिक  किसानों के बीच कोरी बांध घोंघा जलाशय के किनारे खाली पड़ी जमीन के अधिपत्य को लेकर फिर से विवाद का स्थिति है। किसानों की मिली जमीन पर उन्हें खेती न कर देने पर कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा झोपड़ियां बनाकर कब्जा दिलवाया जा रहा है। प्रभावित ग्रामीणों ने इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक से करते हुए न्याय की गुहार लगाई है।

बांध के किनारे तकरीबन 105 एकड़ रिक्त भूमि है, जिसमें मानपुर, कोरी एवं पीपरखुंटी के किसान वर्ष 2003 -04 से खेती करते आ रहे हैं। इस भूमि में से 54 एकड़ भूमि वन विभाग को क्षतिपूर्ति पौधारोपण के लिए आवंटित की गई थी। इस भूमि में वनविभाग द्वारा पौधा लगाने का कार्य कराया जा रहा था, जिस पर किसानों ने न्यायालय जाकर स्टे ले लिया। इसके बाद शेष 51 एकड़ भूमि में खेती को लेकर किसानों में आपस में झगड़े शुरू हो गए। किसानों का झगड़ा तब और बढ़ गया जब डुबान प्रभावित कुछ किसानों ने बांध किनारे भूमि पर खेती शुरू कर दी। पीपरखूंटी के किसानों ने इस पर अपना हक जताना शुरू कर दिया।

इसकी शिकायत जनदर्शन में की गई थी। बात बढ़ने पर सन् 2016 में तत्कालीन कलेक्टर राम सिंह व एसपी रतनलाल डांगी ने शिवतराई पहुंचकर कोटा एसडीएम राजेंद्र गुप्ता व तहसीलदार को बांध की डूबी हुई  किसानों की भूमि अनुपात में बांध की रिक्त भूमि का आवंटन करने का निर्देश दिया था। इसके बाद चार साल से किसान इस पर खेती कर रहे थे।  अब तक विवाद नहीं उठा । इसके  बाद फिर से इस वर्ष जमीन पर गांव के ही उप-सरपंच टीकाराम, दीनाराम गोड़ व अन्य के उकसाने पर इस जमीन पर कुछ लोगों द्वारा जबरन झोपड़ी बनाई जा रही है। किसानों द्वारा मना करने पर मारने पीटने की धमकी देकर भगा दिया जा रहा है। विवाद को लेकर तीन गांवों में फिर से आपसी विवाद तूल पकड़ते नजर आ रहा है। पीड़ितों ने न्याय की गुहार लगाते हुए कलेक्टर बिलासपुर,  एसडीएम कोटा,को ज्ञापन सौंपा है।

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