वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी की मांग, अफसरों को लिखा पत्र
रायपुर। प्रधान मुख्य वन संरक्षक व वन बल प्रमुख और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) को पत्र लिखकर वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने मांग की है कि भविष्य में वन्य प्राणियों से संबंधित अपराध होते हैं तो उसकी जानकारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दी जाए। साथ ही पुराने सभी मामलों की जानकारी भी उन्हें दी जाए। ईडी द्वारा वन्य प्राणियों के शिकार और वन्य प्राणियों के अन्य अपराधों की मामले में कार्रवाई करने से छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे देश में वन्यजीवों के शिकार पर अंकुश लगेगा।
सिंघवी ने कहा कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत वन्य प्राणी को मारना, उसे विष देना, या ऐसा करने का प्रयत्न करना, शिकार करना, फंदे में पकड़ना, जाल में फांसना, हांका लगाना, चारा डालकर फंसाना या ऐसा प्रयत्न करना, वन्य प्राणी के शरीर के किसी भाग को क्षतिग्रस्त करना या नष्ट करना या पक्षियों या सरीसृप की दशा में पक्षियों या सरीसृप के अंडों को नुकसान पहुंचाना अथवा उनके अंडों या घोंसले को क्षति पहुंचाना धारा 9 के तहत अपराध है।
इसके अलावा कुछ विनिर्दिष्ट प्लांट को तोड़ने, उखाड़ना धारा 17ए के तहत अपराध है। वन्य प्राणियों, प्राणी वस्तुओं तथा ट्रॉफियों का व्यापार धारा 39 के तहत अपराध है। अगर इन धाराओं के तहत अपराध हुआ है और धारा 51 के तहत सजा की कार्रवाई की गई है तो ये अपराध प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत भी शेड्यूल्ड अपराध होंगे, जिन पर प्रवर्तन निदेशालय सूचित किये जाने पर कार्रवाई कर सकता है।
सिंघवी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में वन्य प्राणियों का शिकार रुक नहीं रहा है। बाघ को भी करंट देकर मार दिया जाता है। दुनिया में सबसे ज्यादा तस्करी किए जाने वाले पैंगोलिन का हॉटस्पॉट छत्तीसगढ़ बना हुआ है। प्रतिवर्ष दसियों खाल तेंदुए की पकड़ी जाती है। हाथियों को भी करंट से मार दिया जाता है। हाथी दांत का व्यापार करते अपराधी छत्तीसगढ़ में पकड़े गए हैं। बिजली लाइन से हुकिंग कर वन्य प्राणियों का शिकार किया जाता है। हिरण के मांस बिकने के भी समाचार सुनने को मिलते हैं। छत्तीसगढ़ में अनुसूची एक के ही नहीं सभी वन्य प्राणी संकट में आ गए हैं।
सिंघवी ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ वन विभाग के अधिकारी भी वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत अपराध करते हैं। बिना किसी आदेश के वे तेंदुआ और अनुसूची एक के वन्य प्राणियों को पकड़ चुके हैं। इस लिए अधिकारियों को भी प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के प्रावधानों से अवगत करा दिया जाए।