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अचानकमार की वनस्पतियों में घाव को भरने की अद्भुत क्षमता, बिना कृत्रिम रसायनों के तैयार हो रही कारगर दवा

अचानकमार अभयारण्य।

केन्द्रीय गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में शोध

डॉ. अश्विनी दीक्षित, सीयू।
बिलासपुर। बिलासपुर संभाग के अचानकमार वनक्षेत्र में पाये जाने वाले विभिन्न दुर्लभ पादप प्रजापतियों में से चुनिंदा प्रजातियों पर शोध किया जा रहा है । इस शोध अध्ययन के प्रारंभिक चरण में दो वृक्ष व तीन लघु वनस्पतियों से निर्मित अपरिष्कृत औषधि से घाव भरने की क्षमता के आकलन में उत्साहजनक प्रभाव देखने को मिले हैं।

गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय की जीव विज्ञान अध्ययनशाला के अंर्तगत वनस्पति विज्ञान विभाग में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाज उपयोगी एवं प्रकृति संवर्धक शोध कार्य किये जा रहे हैं।

वनस्पति विज्ञान विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ. अश्विनी कुमार दीक्षित घावों को जल्दी भरने के लिए हर्बल दवा निर्माण पर शोध अध्ययन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के इस शोध अध्ययन में किसी भी प्रकार के कृत्रिम रसायनों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। प्रारंभिक अध्ययन में सतही घावों को भरने में यह औषधि अत्यंत कारगर साबित हो रही है। इस औषधि का परीक्षण एवं विश्लेषण देश की प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों एवं केन्द्रों में किया जा रहा है जो चिकित्सकीय एवं अनुसंधान के क्षेत्र में विगत वर्षों से अनुभवी सत्यापन एवं परीक्षण व विश्लेषण का दायित्व संपादित कर रही हैं।

इस अपरिष्कृत औषधि से परिष्कृत दवा निर्माण में लगभग दो वर्ष का समय और लगने की संभावना है जिसके पश्चात गहरे घावों को भरने की भी क्षमता का अध्ययन व परीक्षण किया जाएगा।

 

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