बिलासपुर। तमाम आपत्तियों को किनारे करते हुए राजपत्र में नगर निगम बिलासपुर की सीमा का विस्तार कर दिया गया है। राजपत्र में प्रकाशन के बाद तिफरा नगरपालिका, सिरगिट्टी, सकरी नगर पंचायत और 15 ग्राम पंचायत विलोपित हो गये हैं और ये सब अब नगर निगम बिलासपुर की सीमा में शामिल कर लिये गए हैं। अधिसूचना के मुताबिक बिलासपुर नगर-निगम में एक लाख 65 हजार की नई आबादी शामिल हो रही है लेकिन वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होगी क्योंकि जनगणना का आधार 2011 को रखा गगया है।

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग की ओर से 20 अगस्त को असाधारण छत्तीसगढ़ राजपत्र में इसका प्रकाशन कराया गया है।

अब बिलासपुर नगर-निगम की सीमा में ये गांव/कस्बे और 2011 की जनगणना के मुताबिक जनसंख्या जुड़ जायेगीः-

  1. तिफरा, नगरपालिका, आबादी 30465
  2. सिरगिट्टी, नगर पंचायत, आबादी 18428
  3. सकरी, नगर पंचायत, आबादी 12861
  4. मंगला, ग्राम पंचायत, आबादी 14990
  5. उस्लापुर, ग्राम पंचायत, आबादी 5058
  6. अमेरी, ग्राम पंचायत, आबादी 7547
  7. घुरू, ग्राम पंचायत, आबादी 4440
  8. परसदा, ग्राम पंचायत, आबादी 5878
  9. दोमुहानी, ग्राम पंचायत, आबादी 3690
  10. देवरीखुर्द, ग्राम पंचायत, आबादी 1720
  11. मोपका, ग्राम पंचायत, आबादी 9250
  12. चिल्हाटी, ग्राम पंचायत, आबादी 1890
  13. लिंगियाडीह, ग्राम पंचायत, आबादी 22209
  14. बिजौर, ग्राम पंचायत, आबादी 1586
  15. बहतराई, ग्राम पंचायत, आबादी 4398
  16. खमतराई, ग्राम पंचायत, आबादी 5728
  17. कोनी, ग्राम पंचायत, आबादी 7065
  18. बिरकोना, ग्राम पंचायत, 9114

इसके अनुसार बिलासपुर नगर निगम में एक लाख 63 हजार 617 की आबादी शामिल हो जायेगी। हालांकि वास्तविक संख्या इससे अधिक है क्योंकि जनगणना का उपरोक्त आंकड़ा 2011 का है। डेढ़ साल बाद सन् 2021 में होने वाली नई जनगणना से स्पष्ट होगा कि बिलासपुर नगर निगम की कुल आबादी कितनी बढ़ी है।

आपत्तियों पर औपचारिकता निभाई गई

जिला प्रशासन की ओर से इस अधिसूचना को जारी करने के पहले मांगी गई आपत्तियों को सिरे से नकार दिया गया है। नगर निगम की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव करीब 10 सालों से प्रक्रिया में रही है। तिफरा, सिरगिट्टी, लिंगियाडीह, सकरी में इसके विरोध में आंदोलन भी हुए। नये प्रस्ताव में करीब एक हजार आपत्तियां आई थीं, जिन्हें तवज्जो नही दी गई है। नगर निगम सीमा का विस्तार करने के विरोध में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रमुख दलों के कई नेता शामिल थे। समर्थन करने वालों में भी दोनों दलों के अनेक नेता थे। संभवतः इन आपत्तियों को महत्व जान-बूझकर नहीं दिया गया। दरअसल, नगरपालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों में प्रमुख पदों पर बैठे प्रतिनिधियों को अब नगर निगम बिलासपुर के अधीन आना पड़ेगा और उन्हें सिर्फ पार्षद पद की जगह मिल सकती है। इसलिये विरोध को हवा दी गई। नगर निगम सीमा का विस्तार नहीं होने से बिलासपुर के विकास में पहुंचने वाली बाधा एक सीमा तक अब दूर हो सकती है।

नई मतदाता सूची बनेगी, चुनाव में देरी

नगरीय निकाय चुनाव के परिप्रेक्ष्य में जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से पूर्व में ही एक आदेश जारी कर बिलासपुर और इससे जोड़ने के लिए प्रस्तावित निकायों, पंचायतों की मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य रोक दिया गया था। यदि पुरानी परिसीमा के अनुसार चुनाव कराये जाएं तो बिलासपुर में नई परिषद् का गठन जनवरी 2020 में करना होगा लेकिन अब अधिसूचना जारी होने के बाद नई मतदाता सूची बनेगी और वार्डों का पुनर्गठन होगा। इससे नगर-निगम के चुनाव टाले जाने की संभावना अधिक है।

आवासीय और व्यावसायिक भूखंड सुलभ होंगे

बिलासपुर नगर निगम सीमा के भीतर संचालित फ्लैट्स और आवासीय प्रोजेक्ट की कीमत कई स्थानों पर राजधानी रायपुर से भी अधिक हैं। दरअसल, ग्रामीण इलाकों में बेचे जाने वाले प्लाट्स में शहरों की तरह सुविधाएं नहीं है। सड़क, बिजली, पानी की व्यवस्था भी ग्रामीण क्षेत्रों के अनुसार करनी पड़ती है। अब नगर निगम सीमा के भीतर इन गावों के आ जाने से नये प्रोजेक्ट्स अधिक सुविधाओं के साथ, कम कीमत में लाये जा सकेंगे।

बी ग्रेड शहर का दर्जा मिलेगा

नई सीमा के शामिल होने के बाद बिलासपुर को बी ग्रेड शहर का दर्जा मिलने की संभावना है, जिससे शहर विकास के लिए राज्य शासन और केन्द्र सरकार से अतिरिक्त अनुदान मिलेंगे। शहर के बहुत करीब होने के बाद भी मंगला, घुरू, तिफरा का विकास सीमित रहा है। नई सीमा बन जाने के बाद इन्हें शहर का दर्जा मिलेगा और शहर जैसी सुविधाएं मिलेंगी। सरकारी कर्मचारियों को भी इसका फायदा मिलेगा।

पावरफुल रहेगा महापौर

बिलासपुर की तीन लाख 65 हजार 579 की आबादी (2011 की जनगणना)  ने वर्तमान महापौर को चुना है। नई सीमा के बाद उनकी हैसियत बढ़ जायेगी। नया महापौर, बिल्हा, तखतपुर, बेलतरा विधानसभा क्षेत्रों में भी दखल रखने वाला होगा और उसकी खुद की हैसियत किसी विधायक से कम नहीं होगी क्योंकि इन क्षेत्रों के विकास के लिए फंड नगर निगम से ही जारी होंगे।

मनरेगा, बेजा कब्जा, टैक्स और झुग्गियों का सवाल

नगर निगम की नई सीमा में शामिल हो रहे अधिकांश नगरीय निकाय और ग्राम पंचायतों का स्वरूप और अर्थव्यवस्था ग्रामीण ही है। यहां की आबादी अब महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना से अलग हो जायेगी। इसे लेकर यह तर्क दिया जा रहा है कि नगर निगम सीमा में आने के बाद इन गांवों में नये प्रोजेक्ट आएंगे, जिससे रोजगार के बड़े अवसर खुलेंगे और शहरी रोजगार योजना का भी उन्हें लाभ मिलेगा। टैक्स को लेकर सरकार की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि इसमें वृद्धि तब तक नहीं की जायेगी जब तक वहां विकास के कार्य नहीं हो जाते। साथ ही किसी की झोपड़ी नहीं तोड़ी जायेगी और उन्हें बेजा कब्जा में होने के आधार पर बेघर नहीं किया जायेगा। उम्मीद की जानी चाहिये कि गरीब तबके का जीवन स्तर शहर की सीमा में आने के बाद ऊपर उठेगा।

 

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