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फूलों की खेती करने वाली महिलाओं को एक झटके में कर दिया बेदखल, जन-चौपाल में तहसीलदार-पटवारी की शिकायत

जन-चौपाल में पहुंचीं स्व-सहायता समूह कर्रा की महिलाएं।

बिलासपुर। एक तरफ सरकार महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर अधिकारी उनका हक़ छीनने में लगे हुए हैं। सरकार की नवा अंजोर योजना के तहत लगभग 12 – 13 सालों से फूलों की खेती कर स्व सहायता समूह की महिलाओं को बेदखल कर दिया कर दिया गया । महिलाओं ने आज जन-चौपाल में पहुँच कर कलेक्टर से इसकी शिकायत की।

घटना रतनपुर क्षेत्र के ग्राम कर्रा की है। यहां की दो महिला स्व सहायता समूहों  को नवा अंजोर कार्यक्रम के तहत तत्कालीन जिला पंचायत के सी.ई.ओ. सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने 5-5 एकड़ की भूमि फूल और सब्जी की खेती के लिए आबंटित की गई थी। ये  महिलाएं वसुंधरा सहायता समूह व मितानिन सह-सहायता समूह बनाकर लगातार फूलों की खेती कर रही थी। इसी जमीन पर ट्यूबवैल खुदाई करने के लिए शासन से दोनों समूहों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये मिले थे। इससे करीब 19 परिवारों का भरण पोषण हो रहा था।

कलेक्टोरेट में शिकायत करने पहुंची महिला रुकमणी निषाद ने बताया गांव के कुछ रसूखदारों ने रतनपुर तहसीलदार से मिलकर शिकायत कर दी कि यह खेती अवैध कब्जे की जमीन पर की जा रही है। इसके बाद तहसीलदार, पटवारी ने उनका पक्ष जाने बगैर ही दोनों समूहों को बेदखल कर दिया।

महिलाओं ने बताया कि उनके पास जमीन आबंटन के कागजात हैं, जिसकी कॉपी भी उन लोगों ने तहसीलदार को दी लेकिन तहसीलदार ने कह दिया आबंटन खारिज हो चुका है। बेदखली के दौरान इस जमीन पर किये गए निर्माण कार्य को क्षति पहुंचाई गई है।

महिलाओं का कहना था कि दुर्भावनावश सिर्फ स्व-सहायता समूह की महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई की गई जबकि ग्राम कर्रा एवं रैनपुर में करीब 45 एकड़ जमीन बेजा कब्जा में है, जिस पर मकान और बाड़ी बनाये गए हैं। तहसीलदार से जब महिलाओं ने सभी के अतिक्रमण को हटाने की मांग की तो उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ इन्हीं दोनों समूहों को नोटिस जारी हुआ है, बाकी को भी बेदखल किया जायेगा। हालांकि उनको अब तक बेदखल नहीं किया गया है।

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