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राशन दुकानों से दो माह के मुफ्त राशन का उठाव शुरू, लॉकडाउन में गरीब परिवारों को बड़ा सहारा मिला

पीडीएस दुकान, क्स्तूरबा नगर बिलासपुर।

बिलासपुर। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिये जारी लॉकडाउन के बीच गरीब परिवारों को छत्तीसगढ़ शासन की दो माह का मुफ्त राशन प्रदान करने की योजना ने बड़ी राहत पहुंचाई है। उचित मूल्य दुकानों में राशन प्राप्त करने के लिए पहुंचे हितग्राहियों का कहना है कि उनकी रोजी-मजदूरी और व्यवसाय इस समय बंद है पर उनको भोजन की कोई समस्या आने वाले दो माह तक नहीं होने वाली है।

नगर निगम के कस्तूरबा नगर वार्ड क्रमांक 19 के उचित मूल्य दुकान में दो माह का चावल निःशुल्क लेने के बाद पूर्णिमा यादव के चेहरे में संतोष का भाव था। वह दूसरों के घरों में भोजन बनाकर अपना और अपने बेटे का गुजारा करती है। पूर्णिमा ने बताया कि लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण की संभावना को देखते हुए वह काम पर नहीं जा रही है व घर पर ही रहती है। इस समय उसे आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है लेकिन सरकार द्वारा उसे निःशुल्क चावल मिल रहा है, जिससे उसके दो वक्त के भोजन की समस्या दूर हो गई है।

प्राथमिकता कार्डधारी रेखा सोनी सिलाई दुकान में काम करती है लेकिन लॉकडाउन के कारण उसका भी काम बंद है। उसके पास कोई दूसरा आर्थिक साधन नहीं है। उसने कहा कि दो माह का चावल मुफ्त में मिलने से उसके परिवार को बड़ा सहारा मिला है।

अन्त्योदय कार्डधारी 65 वर्षीय वृद्ध महिला तुलसी बाई के चेहरे से भी चिंता की लकीरें मिट गईं जब उसने दो माह का 70 किलो चावल निःशुल्क प्राप्त किया।

उचित मूल्य दुकान में राशन लेने पहुंची सुनीता सारथी का पति गाड़ी मैकेनिक है। उसने बताया कि लॉकडाउन के कारण पति का काम बंद हो गया है, जिससे परिवार के समक्ष गुजारे की समस्या आ पड़ी है। अब दो माह का मुफ्त चावल मिलने से उन्हें दो जून के भोजन की चिंता नहीं रही।

एक सैलून में काम करने वाले रमाकांत श्रीवास ने अपनी पत्नी सरिता श्रीवास के साथ दुकान से मुफ्त राशन प्राप्त किया। लॉक डाउन के कारण उसका व्यवसाय भी नहीं चल रहा है। लॉकडाउन में उसकी मूलभूत जरूरत परिवार के चार लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करनी है। शासन द्वारा निःशुल्क चावल वितरण से उसे इसमें काफी मदद मिली है।

इसी तरह उचित मूल्य दुकान में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कतार में लगी सीमा, संतोषी, सोनू आदि हितग्राहियों ने भी कहा कि सरकार के संवेदनशील निर्णय से उन्हें इस विषम परिस्थिति में काफी मदद मिली है।

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