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एक पैर से नृत्य करने वाली चंचला का मानना-दिव्यांग होना अभिशाप नहीं, समाज की स्वीकृति मिलना जरूरी

चंचला पटेल, विशेष शिक्षिका, रायगढ़।

रायगढ़। (अरविन्द तिवारी)। जेएसपीएल फाउंडेशन आशा होप रायगढ़ की विशेष शिक्षिका कुमारी चंचला पटेल का मानना है कि यह समय विकलांग व्यक्तियों के प्रति करुणा और विकलांगता के मुद्दों की स्वीकृति को बढ़ावा देने और उन्हें आत्म-सम्मान, अधिकार और विकलांग व्यक्तियों के बेहतर जीवन के लिये समर्थन प्रदान करने का है।

तीन दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व दिव्यांग दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर चर्चा करते हुए चंचला ने कहा कि इस दिन को मनाने का मूल उद्देश्य यह भी है कि राजनीतिक, वित्तीय और सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में विकलांग व्यक्तियों को लिया जाये। दिव्यांगों को साईकिल या व्हील चेयर या कृत्रिम पैर इसलिये नहीं दिये जाते कि उन्हें कोई सहारा दिया जा रहा है बल्कि इसलिये दिये जाते हैं ताकि वे स्वावलंबी बन सके। समाज को अपनी संकीर्ण मानसिकता को छोड़कर दिव्यांग बच्चों को सबल बनाना होगा, तभी हम आगे बढ़ सकते हैं। समाज, सरकार, कॉर्पोरेट और मीडिया, सभी को एकजुट होकर इस दिशा में पहल करनी होगी। मीडिया दिव्यांगों को ना सिर्फ समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में बल्कि, उनको समाज के असली नायक, नायिका के रूप में स्थापित करने में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

दिव्यांगों का मजाक ना उड़ायें

चंचला पटेल ने कहा कि समाज के इस वर्ग को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराया जाये तो वे कोयला को हीरा भी बना सकता है। समाज में उन्हें अपनत्व-भरा वातावरण मिले तो वे इतिहास रच देंगे और रचते भी आये हैं। एक दिव्यांग की जिंदगी काफी दुखों भरी होती है। घर-परिवार वाले अगर मानसिक सहयोग ना दें तो व्यक्ति अंदर से टूट जाता है। वैसे दिव्यांगों के पक्ष में हमारे देश में दर्जन भर कानून बनाये गये हैं, यहां तक कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण भी है परंतु ये सभी चीजें तब तक गौण हैं जब तक हम उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना बंद न करें। वे भी मनुष्य हैं। प्यार और सम्मान के भूखे हैं। उन्हें भी समाज में आम लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी है। उनके अंदर भी अपने माता-पिता, समाज व देश का नाम रोशन करने का सपना है। बस स्टॉप, सीढ़ियों पर चढ़ने-उतरने, पंक्तिबद्ध होते वक्त हमें यथासंभव उनकी सहायता करनी चाहिये। हम एक ऐसा स्वच्छ माहौल तैयार करें, जहां उन्हें क्षणिक भी अनुभव ना हो कि उनके अंदर कुछ कमी है।

1 COMMENT

  1. Chanchala
    बहुत-बहुत धन्यवाद मेरे लेख को न्यूज़ में लगाने के लिए