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सामाजिक संस्थाओं को राशन, भोजन बांटने पर रोक लगाने का शासन का आदेश सहीः हाईकोर्ट

बिलासपुर हाईकोर्ट, छत्तीसगढ़।

तबलीगी जमात के संक्रमित और उनके सम्पर्क में आने वालों की सूची शासन ने कोर्ट में सौंपी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सामाजिक संस्थाओं द्वारा को राशन-भोजन बांटने पर लगाये गये राज्य शासन के आदेश पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि इससे सोशल डिस्टेंसिंग कायम नहीं रखा जा सकेगा। कोर्ट ने तबलीगी जमात को लेकर पेश किये गये सरकार की सूची को स्वीकार कर लिया है।

हाईकोर्ट में 27 अप्रैल को वीडियो कांफ्रेंस से कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन को लेकर दायर याचिकाओं पर आगे की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से मांग की गई थी कि राज्य सरकार द्वारा सामाजिक संगठनों को लॉकडाउन प्रभावितों को मदद करने पर लगाई गई रोक को हटाया जाये। याचिका में कहा गया था कि अनेक सामाजिक संस्थायें और लोग गरीब और जरूरतमंदों को मदद करना चाहते हैं किन्तु शासन ने रोक लगा दी है जिसके कारण जरूरतमंदों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है। याचिका में कहा गया था कि शासन-प्रशासन ने अपने माध्यम से लोगों को सहायता पहुंचाने के लिए लोगों से कहा है पर वह सभी जरूरतमंदों तक राशन, भोजन पहुंचाने में सक्षम नहीं है। राज्य शासन की ओर से इस बारे में प्रस्तुत जवाब पर सहमति जताते हुए कोर्ट ने कहा कि बहुत अधिक संख्या में सामाजिक संस्थाओं द्वारा एक जगह पर एकत्र होने से सोशल डिस्टेंसिंग टूट रही थी, जिससे कोरोना से बचाव के लिए किये जाने वाले प्रयासों को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिये इस सम्बन्ध में शासन द्वारा जारी आदेश पर रोक लगाने की मांग खारिज की जाती है।

हाईकोर्ट ने शासन से तबलीगी जमात के उन लोगों की सूची जिलेवार मांगी थी जिन्हें टेस्ट के कोरोना से संक्रमित पाया गया था। शासन की ओर से 159 लोगों की सूची सौंपी गई। साथ ही इनके सम्पर्क में आये लोगों की सूची भी सौंपी गई। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता की यह मांग खारिज कर दी कि इनके नाम सार्वजनिक किये जायें। एक अन्य याचिका में लॉकडाउन के दौरान पुलिस द्वारा सड़क पर निकलने वाले लोगों से मारपीट करने की घटनाओं पर रोक लगाने और कार्रवाई करने की मांग की गई थी, जिस पर शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत किया गया है। इस सम्बन्ध में याचिकाकर्ता की ओर से अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा गया, जिसे स्वीकार कर लिया गया।

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