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कानफोड़ू डीजे पर रोक नहीं, हाईकोर्ट का रायपुर कलेक्टर व एसपी को अवमानना नोटिस

बिलासपुर हाईकोर्ट।

एडवोकेट जनरल को भी शासन का रुख स्पष्ट करने कहा

बिलासपुर। रायपुर शहर में बज रहे कानफोडू डीजे को लेकर कलेक्टर भारतीय दासन तथा पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख के विरुद्ध दायर अवमानना याचिका पर चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और एडवोकेट जनरल को शासन से आवश्यक निर्देश लेने कहा है।

याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि पूर्व में एक जनहित याचिका नितिन सिंघवी विरुद्ध छत्तीसगढ़ राज्य में 6 दिसम्बर 2016 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित किया था। इसके तहत कलेक्टर और एसपी यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी वाहन पर साउंड बॉक्स रख कर ना बजाया जाये। गाडिय़ों पर साउंडबॉक्स रखकर डीजे बजाने पर साउंड बॉक्स जप्त करना है और बिना मजिस्ट्रेट के आदेश के उन्हें नहीं छोड़ा जाना है। इस वाहन का रिकॉर्ड रखा जाए, दूसरी बार उसी गाड़ी पर साउंड बॉक्स बजाये जाने पर उस वाहन का परमिट निरस्त किया जाए और बिना उच्च न्यायलय के आदेश के कोई नया परमिट जारी नहीं किया जाए।

याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद वर्षभर सड़कों पर डीजे बजते रहते हैं और  डीजे की तेज आवाज के कारण से गणेश विसर्जन के दौरान हार्टअटैक से दो लोगों की मृत्यु हो चुकी है। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि कलेक्टर व एसपी ने कोर्ट के आदेश के संदर्भ में ज्ञापन देने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की। किसी भी वाहन से साउंडबॉक्स जब्त नहीं किया गया और न ही वाहन मालिकों और गाड़ियों का डाटा रखा गया। दूसरी बार भी साउंड बॉक्स रख कर बजाये जाने पर भी कोई परमिट निरस्त नहीं किया गया।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने रात्रि 10 बजे के बाद शादियों, जन्मदिन और धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रमों में डीजे बजने पर उन्हें सीधे जप्त किये जाने के भी आदेश दिए हैं तथा आयोजक अगर नहीं मानता है तो उसके विरुद्ध कोर्ट कार्रवाई और न्यायालय की अवमानना का प्रकरण दायर करने कहा गया है।

उच्च न्यायालय ने गाड़ियों पर प्रेशर हॉर्न और मल्टीटोन हॉर्न  लगाने पर भी प्रतिबंध लगा रखा है तथा ऐसे वाहनों का नंबर और उसके मालिक तथा चालक का डाटा भी रखने को कहा है दोबारा पाए जाने  पर वाहन जप्त करने के आदेश दिए हैं तथा ऐसे वाहनों को तब तक नहीं छोड़ा जाना है जब तक के उच्च न्यायालय छोडऩे का आदेश जारी ना करें।

याचिका की तरफ से यह भी बताया गया कि पूर्व में भी तत्कालीन कलेक्टर और तत्कालीन एसपी के विरुद्ध अवमानना स्थानीय निवासी ब्यास मुनि दिवेदी द्वारा याचिका दायर की गई थी, तब प्रशासन की तरफ से यह बताया गया था कि प्रशासन डीजे के विरुद्ध कार्रवाई कर रहा है. परन्तु कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति की तरफ से विश्वजीत मित्रा, डॉ राकेश गुप्ता, राम नारायण व्यास, नवमान अकरम हमीद, हरजीत सिंह जुनेजा, शरद शुक्ला, हेमंत बैद, मनीष खेतान व अमिताभ दीक्षित ने अवमानना याचिका दायर कर रखी है।

मुख्य न्यायाधीश एव न्यायमूर्ति पी.सैम.कोशी की युगल बेंच ने 20 फरवरी के इस आदेश में एडवोकेट जनरल को शासन से आवश्यक निर्देश लेने हेतु आदेशित किया है तथा अगली बार बेंच बैठने पर अवमानना याचिका पर सुनवाई हेतु निर्देश दिया। अब एडवोकेट जनरल अगली सुनवाई पर बताएंगे कि शासन ने कोर्ट के पूर्व के आदेश के  पालनार्थ क्या कार्रवाई की है।

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