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मंत्रालय से लेकर जिले तक सभी सरकारी बैठकों में सिर्फ देवभोग दूध-दुग्ध उत्पाद का इस्तेमाल होगा

देवभोग उत्पाद।

शालाओं के मध्यान्ह भोजन, आंगनबाड़ी केन्द्रों व छात्रावासों में भी इसी ब्रांड को प्रोत्साहित करने का निर्देश

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में मंत्रालय, कलेक्टोरेट से लेकर ग्रामीण स्तर तक होने वाली बैठकों में राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ के देवभोग दूध का ही इस्तेमाल का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा आंगनबाड़ी केन्द्रों व मध्यान्ह भोजन में भी बच्चों को सहकारी संघों के दूध का वितरण सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।

छत्तीसगढ़ शासन के सभी सचिवों, विभाग प्रमुखों व कलेक्टरों को जारी निर्देश में राज्य के मुख्य सचिव आर.पी.मंडल ने कहा है कि देवभोग के उत्पाद राज्य के पशुपालकों द्वारा उत्पादित दूध का संकलन कर निर्मित किये जाते हैं। दूध की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए संकलन, भंडारण, प्रोसेसिंग और भंडारण के विभिन्न स्तरों में इसका कड़ा परीक्षण किया जाता है तथा मिलावट की कोई संभावना नहीं होती। दुग्ध उत्पादक पशुपालकों को दूध का उचित मूल्य दिया जाता है और शासन को जीएसटी आदि करों की सुनिश्चित प्राप्ति होती है। देवभोग उत्पाद द्वारा तरल दूध, फ्लेवर्ड दूध, मिल्क पाउडर, लस्सी, छाछ, पेड़ा, श्रीखंड, रबड़ी, घी आदि तैयार किये जाते हैं। अतएव, पशुपालकों के हित में देवभोग के दूध व दुग्ध उत्पादों का विभिन्न शासकीय योजनाओं, बैठकों, क्रियाकलापों में किया जाये। छत्तीसगढ़ मंत्रालय महानदी भवन में भी इस आदेश को लागू किया गया है।

इधर एक अन्य पत्र में कृषि एवं पशुधन विकास सचिव ने मध्यान्ह भोजन, आंगनबाड़ी तथा छात्रावासों में दूध के नियमत वितरण को प्रोत्साहित करने कहा गया है। देवभोग दूध के उत्पादक छत्तीसगढ़ राज्य डेयरी फेडरेशन के प्रतिनिधि को सम्बन्धित विभागों से समन्वय करने के लिए भी कहा गया है।

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