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PWD में वरिष्ठों की जगह कनिष्ठ अफसर पदस्थ, नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने पूछा कारण.. मंत्री साहू ने दिया जवाब

रायपुर : मानसून सत्र के दूसरे दिन सत्ता और विपक्ष के नेताओं के बीच तीखी बहस चल रही है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने PWD में वरिष्ठ अफसरों को साइड कर कनिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी देने का मुद्दा उठाया.

कौशिक ने पूछा, 3 अगस्त 2020 की स्थिति में विभाग में एग्जिक्यूटिव इंजीनियर और उच्च पद पर वरिष्ठता सूची के अनुसार वरिष्ठ अधिकारी के जगह कनिष्ठ अधिकारियों को पदस्थ किया गया था. इसका क्या कारण है?

जवाब में लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा, किसी को दरकिनार करना या किसी को जिम्मेदारी देना ऐसा नहीं किया जाता. जहां जिसकी जो जरूरत होती है उससे वहां काम लिया जाता है.

उन्होंने कहा, वरिष्ठता क्रम बदलता गया. पहले जो वरिष्ठता क्रम था उसके अनुसार जिम्मेदारी दी जा रही थी. इसके बाद कई परिवर्तन हुए उसके मुताबिक अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई. कुछ मामलों में जांच भी चल रही है. अलग-अलग अधिकारियों को उनकी वरीयता क्रम के मुताबिक अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है.

नेता प्रतिपक्ष ने पूछा,  किन-किन अधिकारियों के खिलाफ कोई प्रकरण चल रहा है? कोई मामला न्यायालय में लंबित है?

PWD मंत्री ताम्रध्वज साहू ने जवाब दिया कि ENC का जो पद होता है वह योग्यता और उनकी कार्य क्षमता के अनुसार ही जिम्मेदारी दी जाती है. ऐसा ही 2012 से 2018 के बीच भी जिम्मेदारी दी गई थी. 5वें क्रम के अधिकारी को आप लोगों ने ENC बनाया था.

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, जिन पर विभागीय जांच चल रहे हैं. मामले न्यायालय में लंबित है. ऐसे लोगों को जिम्मेदारी दी गई है. ऐसे कौन से गुण है इन लोगों में? इसकी जानकारी सदन में देनी चाहिए.

DPC की प्रक्रिया पर भी बहस

DPC की प्रक्रिया को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और पीडब्ल्यूडी मंत्री ताम्रध्वज साहू के बीच तीखी बहस हुई. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने एक बार फिर आरोप लगाया कि जिस प्रकार से सरकार चल रही है उसमें सारे वरिष्ठ अधिकारियों को दरकिनार कर कनिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जा रही है. इस संबंध में मैंने पत्र भी लिखा है. 9 माह तक मुझे मंत्री की ओर से पत्र का जवाब नहीं आए हैं.

उन्होंने कहा, अभी भी कहा जा रहा है कि प्रक्रियाधीन है. ऐसे मामलों को प्रक्रियाधीन नहीं रखा जाना चाहिए. तत्काल जांच कराकर जिन्हें हटाया जाना है उन्हें हटाना चाहिए. अगर आवश्यकता किसी का आरोप पत्र वापस लेने की है तो आरोप पत्र वापस लेना चाहिए

 

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