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राजनीतिक व्यक्तियों में क्षमता की कमी, स्मार्ट सिटी परियोजना में नहीं रखना सही

बिलासपुर स्मार्ट सिटी का एक चित्र।

नगर निगम के अधिकारियों ने हाईकोर्ट में दिया अतिरिक्त जवाब

बिलासपुर। स्मार्ट सिटी रायपुर और बिलासपुर में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा कर अधिकारियों को सारी शक्तियां देने के विरुद्ध टायर जनहित याचिका में बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी की ओर से हाईकोर्ट में अतिरिक्त जवाब प्रस्तुत किया गया है।
इसमें कंपनी की ओर से कहा गया है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में नगर निगम के मेयर और सभापति व नहीं रखना उचित है, क्योंकि उनमें प्रशासनिक कार्यों के क्रियान्वयन की क्षमता में कमी होती है। राजनीतिक व्यक्ति अलग-अलग पार्टी और विचारधारा से जुड़े रहते हैं। इसके कारण विकास कार्यों से संबंधित निर्णय लेने में विवाद होने की संभावना रहती है। इन परिस्थितियों के कारण स्मार्ट कंपनी के निदेशक मंडल में उनका नहीं होना सही है।
ज्ञात हो कि अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव के माध्यम से अधिवक्ता विनय दुबे ने एक जनहित याचिका दायर कर बिलासपुर और रायपुर की स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को महत्व नहीं देने के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका में कहा गया है शहर के विकास के संबंध में निर्णय लेना जनता के द्वारा निर्वाचित किए गए प्रतिनिधियों का अधिकार है। दूसरी ओर स्मार्ट सिटी का कार्य पूरी तरह से आयुक्त और अन्य अधिकारियों को सौंप दिया गया है। स्मार्ट सिटी योजना के क्रियान्वयन की वर्तमान संरचना असंवैधानिक है।
याचिकाकर्ता विनय दुबे ने कहा कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से प्रस्तुत जवाब पर हाईकोर्ट में दलील रखी जाएगी। दुबे का कहना है कि यादिन्यः तर्क स्वीकार कर लिया गया तो राज्य और केंद्र सरकार की जगह पूरे देश में अधिकारियों की ही कंपनी बना देनी चाहिए और जनप्रतिनिधियों को निर्णय लेने से अलग रखना चाहिए। प्रकरण की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होने वाली है।

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