Home अपडेट ‘छत्तीसगढ़ राज्य के लिए सबसे पहली आवाज डॉ. खूबचंद बघेल की थी’

‘छत्तीसगढ़ राज्य के लिए सबसे पहली आवाज डॉ. खूबचंद बघेल की थी’

‘पुरखा के सुरता’ कार्यक्रम में मनाई गई जयंती

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वप्न देखने वाले डॉ खूबचंद बघेल की जयंती गुरुवार की सुबह नूतन चौक सरकंडा में मनाई गई।

सरकंडा स्थित नूतन चौक में सुबह 9.30 बजे डॉ खूबचंद बघेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हे याद किया गया। इस अवसर पर ‘पुरखा के सुरता’ कार्यक्रम का आयोजन  किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ एल सी  मड़रिया  ने कहा कि अलग छत्तीसगढ़ राज्य के लिए सबसे पहले डॉ. बघेल ने आवाज उठाई थी। ऐसे महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलना छत्तीसगढ़ी के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। विशिष्ट अतिथि डॉ. विनोद तिवारी ने डॉ. बघेल मार्गों को अनुसरण करने पर जोर दिया। बृजेश साहू ने डॉ. बघेल के संघर्षपूर्ण जीवन पर प्रकाश डाला। डॉ. सोमनाथ यादव ने कहा कि अब कहने का समय नहीं करने का समय आ गया है,  करके दिखाना ही सार्थक है। लता राठौर ने शासकीय कार्यालयों और प्राथमिक शिक्षा में छत्तीसगढ़ी के इस्तेमाल पर जोर दिया।

इस अवसर पर शगुन वर्मा, टी आर निराला, रामकृष्ण जांगड़े, डॉ हेमंत कौशिक सहित डॉ खूबचंद बघेल सेवा समिति, छत्तीसगढ़ महिला क्रांति सेना,छत्तीसगढ़ कुर्मी चेतना मंच, बिलासा कला मंच  बिलासपुर, छत्तीसगढ़ प्रदेश कुर्मी समाज बिलासपुर, ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ के सदस्य तथा सामाजिक समझौता सम्मेलन के पदाधिकारी मौजूद थे। संयोजक भुवन वर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के बाद सदस्यों ने पुलिस लाइन स्थित वृद्धा आश्रम में वरिष्ठ नागरिकों को फल वितरण किया, साथ ही उनके बीच डॉ. बघेल के योगदान को याद किया।

 

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