Home अपडेट स्वदेशी राखियां सर्वश्रेष्ठ, विदेशी राखियों में प्रेम, स्नेह नहीं मिलता

स्वदेशी राखियां सर्वश्रेष्ठ, विदेशी राखियों में प्रेम, स्नेह नहीं मिलता

आधारशिला विद्या मंदिर में स्वदेशी राखी बनाने का तरीका समझाती हुईं ममता पांडेय।

ममता पांडेय चला रहीं स्वदेशी राखियों के इस्तेमाल का अभियान…

राखी का त्यौहार, भाई-बहन के प्यार व स्नेह का पावन पर्व है, लेकिन आज बाजार में उपलब्ध राखियों में-चीनी राखियाँ ही छाई रहती हैं- जिनमें राखी के त्यौहार की पवित्रता व स्नेह नहीं पाया जाता- आज  की परिस्थितियों मे हमें “स्वदेशी रक्षा-सूत्र” यानी मौली धागे से बनी राखियों का उपयोग कर राष्ट्रप्रेम को बढ़ावा देना जरूरी है।

यह बात सामाजिक कार्यकर्ता ममता पांडेय ने आधारशिला विद्या मंदिर रमतला में रक्षाबंधन पर आयोजित एक कार्यक्रम में कही।

उन्होंने कहा कि पौराणिक कथाओं में मौली धागे के महत्व व पवित्रता को अनेक प्रसंग मिलते हैं। इसके अनेक लाभ होते हैं। हाथ की कलाई में मौली धागा बांधने से स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है- कफ, पित्त और वात के विकार नियंत्रण में रहते है। पाण्डेय ने विद्यार्थियों एवं शिक्षिकाओं में मौली धागा बांटकर उन्हें राखी बनाना सिखाया। उन्हें इस बात के लिये भी प्रोत्साहित किया कि-इस राखी के पर्व पर, अपने घर पर मौली धागे से राखियां बनाकर, उपयोग में लायें बल्कि, अपने पास-पड़ोस, रिश्तेदारों से भी मौली धागे की राखी बांटे। अभी तक पाण्डेय ने एक हजार से अधिक, मौली धागे की राखी तैयार की है, जिसे स्कूलों या अन्य जरूरत मंदों को नि:शुल्क बांटा जायेगा।

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