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सैलरी नहीं मिली तो 7 दिन में एक हजार किमी चलकर ओडिशा में अपने घर पहुंचे प्रवासी श्रमिक

ओडिशा के मजदूर मीलों पैदल चले।

प्रशासन का दावा-सिर्फ 160 किमी चले, बिचौलिये और ठेकेदार के खिलाफ अपराध दर्ज

कोरापुट (ओडिशा)। कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच ओडिशा के तीन निराश्रित प्रवासी श्रमिक सात दिन में एक हजार किलोमीटर पैदल चलकर बेंगलुरु से ओडिशा के कोरापुट आए और फिर यहां से कालाहांडी स्थित अपने घर पहुंचे। यह खबर फैलते ही कोरापुट जिला प्रशासन के अधिकारी इन श्रमिकों के घर पहुंचे और उनसे बातचीत के बाद दावा किया वे सिर्फ 160 किमी पैदल चलकर पहुंचे हैं। मामले में नियोक्ता के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया है।

ये तीनों श्रमिक रविवार को जब अपने घर पहुंचे तो उनकी जेब खाली और हाथों में केवल पानी की बोतलें थीं। उनके पास कुछ था तो वह था इस लंबी यात्रा के दौरान के संघर्ष, कठिनाइयां, शोषण और अनजान लोगों से मिली मदद की कहानियां।

कालाहांडी जिले के तिंगलकन गांव के बुडू मांझी, कटार मांझी और भिखारी मांझी तीनों को बेंगलुरु में उनका नियोक्ता कथित तौर पर वेतन नहीं दे रहा था, जिससे तंग आकर उन्होंने यह कठिन यात्रा करने की ठानी। उनकी मामूली सी बचत समाप्त हो गई थी। उनके पास न तो भोजन था और न ही पैसे। कोरापुट पहुंचने पर, उन्होंने पोतांगी ब्लॉक के पडलगुडा में स्थानीय लोगों को बताया कि उन्होंने 26 मार्च को अपनी यात्रा शुरू की थी और वे इन सात दिन में रात में भी चले। कुछ जगहों पर उन्हें सवारी भी मिली। श्रमिकों की परेशानियों को समझते हुए कई लोग अनायास आगे आए और उनकी मदद की। एक दुकानदार ने उन्हें भोजन की पेशकश की, जबकि ओडिशा मोटर वाहन चालक एसोसिएशन की पोतंगी इकाई के अध्यक्ष भगवान पडल ने उन्हें 1,500 रुपये दिए। साथ ही नबरंगपुर के लिए उनके परिवहन की व्यवस्था की, जो कालाहांडी के रास्ते में पड़ता है। तीनों प्रवासी, श्रमिकों के उस 12 सदस्यीय समूह का हिस्सा थे, जो दो महीने पहले नौकरी की तलाश में बिचौलियों की मदद से बेंगलुरु गया था।

बेंगलुरु पहुंचने के बाद उन्हें काम मिला लेकिन उनके नियोक्ता ने कथित तौर पर उन्हें दो महीने तक काम करने के बावजूद वेतन नहीं दिया। तीनों ने कहा कि जब उन्होंने वेतन मांगा तो उन्हें पीटा गया। भिखारी माझी ने बताया कि हम अपने परिवार चलाने के लिए पैसा कमाने की उम्मीद से बेंगलुरु गए थे, लेकिन जब भी हमने वेतन मांगा तो कंपनी के कर्मचारियों ने हमें बकाया भुगतान करने के बजाय हमारी पिटाई की। अब और यातना सहन नहीं कर पा रहे थे, इसलिए हम वहां से चले आए।

पिछड़े केबीके (कोरापुट-बलांगीर-कालाहांडी) से आने वाले कांग्रेस के विधायक संतोष सिंह सलूजा ने कहा कि यह घटना क्षेत्र के प्रवासी श्रमिकों की स्थिति को दर्शाती है। ओडिशा में नवीन पटनायक सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बीजू जनता दल (बीजद) ने 23 साल सत्ता में रहने के बाद भी लोगों को निराश किया है। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सरत पटनायक ने कहा कि सरकार गरीब लोगों की चिंता करने के बजाय निवेश लाने के नाम पर नौकरशाहों और नेताओं की जापान यात्रा के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। मुख्यमंत्री जापान के दौरे पर हैं।

जैसे ही कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में तीन प्रवासी मजदूरों को उनके नियोक्ता द्वारा कथित रूप से परेशान किए जाने और ओडिशा के कालाहांडी जिले में अपने घरों तक बिना मजदूरी के पैदल चलने के लिए मजबूर करने की खबरें आने लगीं, जिला प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय पुलिस उनके पास पहुंच गई। इस संबंध में गांव में उनसे पूछताछ की जा रही है।

कालाहांडी जिला प्रशासन ने दावा किया है कि ये श्रमिक विशाखापत्तनम से ओडिशा के कोरापुट जिले के पोट्टांगी गांव तक कुल 160 किमी पैदल चलकर आए थे। तीनों ने ट्रेन में बिना टिकट के बेंगलुरु से विशाखापत्तनम् की यात्रा की। चूंकि उनके पास पैसे नहीं थे, वे विशाखापत्तनम से पोट्टांगी तक चलने के लिए मजबूर थे और फिर ट्रक से नबरंगपुर क्षेत्र पहुंचे। बाद में वे ट्रैक्टर से कालाहांडी जिले के सेमेला गांव आ गए। उन्होंने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि उन्हें उनके नियोक्ता से दो महीने का वेतन दिलवाए। श्रमिकों ने बताया कि हमें बेंगलुरु में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। ठेकेदार ने मजदूरी नहीं दी और जान से मारने की धमकी दी। उसे चकमा देकर हम वहां से भाग आए। हालांकि हमारे पास पैसे नहीं थे। हमने विशाखापत्तनम के लिए बिना टिकट ट्रेन से यात्रा की। बाद में पैदल चलकर ट्रक, ट्रैक्टर की मदद ली और घर पहुंचे। कोरापुट पुलिस ने कहा है कि उसने ठेकेदार और बिचौलिए के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।

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