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हार्ट अटैक की नौबत क्यों लाएं? जीवन शैली बदलना कठिन नहीं, धमनियां निर्बाध काम करेंगीं-डॉ. वर्मा

भोजन में तेल की मात्रा कम रखे, हरी सब्जियों को पकाएं मगर बिना डीप फ्राई के, नमक और शक्कर कम खाएं और हर रोज कम से कम 30 मिनट व्यायाम के लिए दें। ये कुछ आसान उपाय आपको ह्रदयाघात से बचाकर रखेगा। ह्रदयाघात के बाद जीवन जटिल हो जाता है और ज्यादा अनुशासन से जीना पड़ता है इसलिए पहले से ही इसके प्रति सतर्क रहने में समझदारी है।

ये बातें एम.डी. कार्डिकेयर के डॉ. अखिलेश वर्मा ने विश्व ह्रदय दिवस के अवसर पर प्रेस क्लब में आज पत्रकारों से बात करते हुए कही। डॉ. वर्मा ने बताया कि वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ह्रदय रोग के दुनिया भर में बढ़ते मामलों को देखते हुए सन् 1999 से ह्रदय रोग दिवस मनाने का निर्णय लिया। बदलती खान-पान व जीवन शैली की वजह से भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में इसके केस बढ़ रहे हैं। संक्रमण रोगों और कई तरह की महामारी से हम छुटकारा पा चुके हैं पर आज भारत में ह्रदय रोग उन संक्रमण से नहीं होने वाले कुछ रोगों में सबसे ऊपर है। अब तो यह कम उम्र के लोगों में भी दिख रहा है।

ह्रदयाघात के बाद का जीवन कठिन

डॉ. वर्मा ने कहा कि एक बार हार्ट अटैक आने के बाद पूरे जीवन भर संयम से रहना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि बाइ पास के बाद आप बाकी जीवन पहले जैसा इत्मीनान से बिता पाएं। आपको बहुत संयम से रहना जरूरी है। आपको अपने हार्ट की नियमित जांच करानी पड़ेगी। चार-पांच साल में आपको फिर से दूसरे बाइपास की जरूरत पड़ सकती है। हमारे पास कई केस ऐसे भी आए हैं जिनमें 6 माह के बाद फिर से आपरेट करने की जरूरत पड़ गई।

इसलिए जरूरी है पहले से ही सावधान रहें

ह्रदय रोग का इलाज महंगा है और इसके बाद पूरे जीवन में संयम से रहना पड़ता है। सुबह हमें गार्डन में सैर करने वाले बहुत से लोग दिखते हैं, उनमें अधिकतर वे लोग होते हैं जो ब्लड प्रेशर, शुगर के कारण डॉक्टरों की सलाह पर घूमते हैं। आखिरकार इसका असर हार्ट पर भी होता है। क्यों न बेहतर हो कि हम इसके पहले ही रोग को दूर रखने के लिए कुछ जरूरी उपाय कर लें।

इन तरकीबों से आप बचे रहेंगे ह्रदयाघात से

  • हर रोज 40 मिनट से एक घंटा शरीर को दें। 30 मिनट तेज चलें, करीब 4-5 किलोमीटर। बाकी समय व्यायाम को दें।
  • धूम्रपान से बचें, यह रक्तवाहिनी को बहुत नुकसान पहुंचाता है।
  • कम मात्रा में अल्कोहल का नुकसान नहीं,पर हम इसकी भी सिफारिश नहीं करते क्योंकि ज्यादातर लोग सीमित मात्रा में पीने के नियम का पालन नहीं कर पाते।
  • तेल के अलावा शक्कर और नमक भी कम ही लें।
  • सब्जी को तेल में डीप फ्राई होने तक नहीं तलें, बस इतना ही तलें कि हरी सब्जी हरी ही रहे। तरोई, कुम्हड़ा, लौकी जैसी सब्जी ज्यादा खाएं, जो कम तेल में तैयार हो जाती हैं।
  • मसाला शरीर के लिए फायदेमंद लेकिन इसे तेल में ज्यादा तलकर खाने से नुकसानदायक, खड़ा मसाला इस्तेमाल करें।
  • एक साथ भारी खाना नहीं खाएं। 4-5 घंटे के अंतराल में खाएं। 16 घंटे खाने की अवधि हो और 8 घंटे उपवास की।

डॉ. वर्मा ने कहा कि खान-पान का तरीका अच्छा हो तो विचार भी सकारात्मक होते हैं, जो अच्छे जीवन के लिए जरूरी है। एकबारगी ऐसा लगता है कि हम रोजमर्रा की आदत को कैसे बदलें लेकिन जब आप एक डेढ़ माह तक कम तला खाने लगेंगे, कम शक्कर की चाय पीने लगेंगे तो उसके बाद वही अच्छा लगेगा। इसकी शुरूआत आज से कर लें।

डॉ. वर्मा ने बताया कि हमें धूम्रपान और मद्यपान की लत रोकने के लिए स्कूल और कॉलेज के स्तर पर अभियान चलाना चाहिए। निराशा, हताशा हमें इस ओर धकेलती है।

उच्च रक्तचाप को साइलेंस किलर कहा जाता है, 90 प्रतिशत लोग इसे महसूस नहीं कर पाते, इसका अचानक पता चलता है। यह न केवल ह्रदयाघात के लिए बल्कि पक्षाघात, किडनी फेल्यूर, अंधत्व जैसे रोगों के लिए जिम्मेदार है। मधुमेह के साथ भी ऐसा ही है।

ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्राल का बढ़ना भी धमनियों में रुकावट का काम करता है।

 

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