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पद्मश्री बापट ने ज़िन्दगी भर कुष्ठ रोगियों के घाव धोये, मौत के बाद भी शरीर सेवा के लिए छोड़ गये

राष्ट्रपति से पद्मश्री ग्रहण करते हुए बापट।

बिलासपुर। पद्मश्री दामोदर गणेश बापट का शव आज शाम सिम्स चिकित्सालय में उनके संकल्प का पालन करते हुए दान कर दिया गया। कुष्ठ रोगियों के लिए पूरा जीवन खपा देने वाले बापट के निधन से कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए समर्पित छत्तीसगढ़ की पीढ़ी के एक युग का अवसान हो गया है।

शनिवार की सुबह 2.30 बजे अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया था। 87 वर्षीय बापट आयुजनित समस्याओं के कारण अस्वस्थ चल रहे थे। कात्रे नगर चांपा में स्थापित अखिल भारतीय कुष्ठ निवारक संघ को उन्होंने जीवन पर्यन्त कुष्ठ रोगियों की सेवा कर नई ऊंचाईयां दीं। उनका कार्यस्थल सोंठी आश्रम के नाम से जाना जाता है। सन् 2018 में छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें उनके योगदान के लिए  पद्मश्री से अलंकृत किया था।

पद्मश्री बापट के सेवाभाव की पराकाष्ठा ही थी कि उन्होंने मरणोपरान्त देहदान की घोषणा की थी। चिकित्सा क्षेत्र में नये अनुसंधान और अनुभव के लिए देह की कमी है। हर एक देहदान चिकित्सा विज्ञान को नये शोध के लिए प्रेरित करता है। शनिवार अपरान्ह उनकी देह गरिमा के साथ सिम्स चिकित्सालय को सौंप दी गई।

 

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