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संसदीय सचिव उपाध्याय का मत, गांधी परिवार के हाथों में ही रहे कांग्रेस की कमान

रायपुर : सोनिया गांधी के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफे की पेशकश के बाद राजनीति में हलचल हो उठी है. संसदीय सचिव और पश्चिम विधायक विकास उपाध्याय ने भी सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना मत रखा. उन्होंने कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार के हाथों में रखने की वकालत की है.

उन्होंने कहा, जब-जब गांधी परिवार से हट कर कांग्रेस को चलाने की बात हुई है पार्टी कमजोर हुआ है और आज की स्थिति व हालात में ऐसा हुआ तो कांग्रेस और भी कमजोर होगा. प्रधानमंत्री मोदी का जो सार्वजनिक जगहों से लेकर कई मौकों पर यह कहना कि वो कांग्रेस मुक्त भारत चाहते हैं, असल में वो गांधी परिवार मुक्त कांग्रेस की बात करते हैं. इस बात को कांग्रेस के एक-एक कार्यकर्ता व पार्टी के नेताओं को समझ जाना चाहिए.

विकास उपाध्याय ने कहा, मोदी कांग्रेस से नहीं बल्कि ज्यादा गांधी परिवार के मजबूत नेतृत्व क्षमता से डरते हैं. देश के मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का पुराना जनाधार पिछले कई वर्षों में काफी कम हुआ है. यह भी सच है कि इतने वर्षों के बाद पिछले दो लोकसभा चुनावों में पार्टी की बड़ी हार हुई है और पहली बार 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में सौ से भी कम सीटें कांग्रेस को मिली है.

उन्होंने कहा, पिछले लोकसभा चुनाव के समय राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष थे और उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए लिखा था कि अध्यक्ष के नाते हार के लिए मैं जिम्मेदार हूं इसलिए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं. पार्टी को जहां भी मेरी जरूरत पड़ेगी मैं मौजूद रहूंगा.  इस बीच सार्वजनिक तौर पर पार्टी को बहुत बार देश के वर्तमान हालात के लिए मोदी सरकार को सजग करने राहुल जी की जरूरत महसूस हुई और उन्होंने एक मजबूत विपक्ष की तरह देश के सामने हर मुद्दे पर अपनी बात रखी. ऐसा कर उन्होंने कांग्रेस पार्टी को ही नहीं बल्कि पूरे विपक्ष को भी इस बात का एहसास दिलाया कि मोदी जो कह रहे हैं या कर रहे हैं वही सही है मान लेना सही नहीं होगा.

 

विकास उपाध्याय ने कहा कांग्रेस पार्टी को राहुल गांधी में उम्मीद नजर आती है क्योंकि वो वास्तव में नरेंद्र मोदी का एक विकल्प पेश करते हैं. मोदी की हर नीति को राहुल गांधी चुनौती देते नजर आते हैं. उन्होने कहा पिछले कुछ वर्षो में यदि विभिन्न राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव कि स्थति के बारे में भी यदि ध्यान दिया जाये तो गुजरात समेत मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, कर्नाटक, मणिपुर, पांडुचेरी एवं छत्तीसगढ में पार्टी ने मजबूत स्थति कायम की. इसमें गुजरात में तो राहुल गांधी के ताबड़तोड़ प्रचार के चलते लगभग कांग्रेस पार्टी का बराबरी का मुकाबला रहा है. इन चुनावों में भी मतदाताओं ने राहुल गांधी के चेहरे को सामने में रख मतदान किया था, इससे इनकार नहीं किया जा सकता.

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