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कोरोना संकटः मजदूर, गरीबों, बेघरों को राहत पहुंचाने के लिए हाईकोर्ट में पीआईएल

केन्द्र व राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग

बिलासपुर। कोरोना महामारी की आशंका से पैदा हुई विषम परिस्थितियों के चलते समाज के कमजोर वर्गों के लिए सरकार से तत्काल कदम उठाने का निर्देश देने की मांग करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।

राइट टू फूड अभियान छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ हॉकर्स फेडरेशन संगठनों के अलावा जयंत झा व अमरनाथ पांडेय की ओर से दायर इस पीआई एल में कहा गया है कि कोविड 19, कोरोना वायरस से समाज के विभिन्न कमजोर वर्ग के लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इनके जीवन की रक्षा के लिए केन्द्र व राज्य सरकार को कल्याणकारी कार्यक्रम लागू करने का निर्देश दिया जाये।

याचिका में ग्रामीण व शहरी गरीब, मजदूरों, निःशक्तों तथा कमजोर वर्ग की सामाजिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य आवास, परिवहन, शिक्षा व संचार के लिए राहत कार्यक्रम फौरन शुरू करने की मांग की गई है। याचिका में मजदूरों के लिए मासिक बेरोजगारी भत्ते की मांग की गई है। कहा गया है कि इनमें केवल श्रम विभाग से पंजीकृत मजदूर नहीं बल्कि निर्माण कार्य में लगे मजदूर, दैनिक वेतनभोगी, स्ट्रीट वेंडर और गैर पंजीकृत दूसरी श्रेणी के मजदूरों को भी शामिल किया जाये। मांग की गई है कि वृद्धों, विकलांगों और विधवाओं की मौजूदा सामाजिक सुरक्षा पेंशन में 50 प्रतिशत की वृद्धि की जाये और उन्हें अग्रिम भुगतान किया जाये। इसी तरह महात्मा गांधी नरेगा के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में हर पंजीकृत परिवार के लिए कम से कम 50 दिन का काम सुनिश्चित कर उन्हें भुगतान किया जाये। पीडीएस के तहत तय राशन की मात्रा में 50 प्रतिशत की वृद्धि की जाये और अंत्योदय कार्ड पर तीन महीने का राशन तुरंत आवंटित किया जाये। शहरी गरीबों के लिए दोपहर व शाम के समय निःशुल्क भोजन की व्यवस्था की जाये। यह व्यवस्था बस-स्टैंड, रेलवे स्टेशन, अस्पताल, सामाजिक-धार्मिक परिसरों पर की जाये। पीडीएस दुकानों में अनाज सहित अन्य जरूरी चीजों का भरपूर स्टाक रखा जाना सुनिश्चित किया जाये। राशन दुकानों में हैंड वाश, दस्ताने, साबुन आदि उपलब्ध कराए जायें। इन वर्गों तक स्वास्थ्य सेवाओं की आसान पहुंच हो और इस काम में लगे कार्यकर्ताओं को किसी तरह से प्रतिबंधित न किया जाये। कोरोना वायरस के परीक्षण और उपचार को इस तरह विकेन्द्रीकृत किया जाये कि गरीबों के लिए भी यह सुलभ हो सके। स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, स्वयं सहायता समूहों व स्वैच्छिक संगठनों को सक्रिय कर इन वर्गों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए किट्स व दवाईयां उपलब्ध कराई जाये। बेघर लोगों को स्कूल, कॉलेज, छात्रावास, स्टेडियम आदि में ठहराने की व्यवस्था की जाये। स्वास्थ्य कर्मियों, नर्सों, ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ता, एएनएम आदि के लिए सार्वजनिक परिवहन की सेवा सुनिश्चित की जाये ताकि वे जरूरतमंद कमजोर वर्ग तक स्वास्थ्य सेवा सरलता से पहुंचा सकें।

याचिका में कोरोना वायरस से बचाव के लिए जागरूकता लाने का अभियान चलाने का निर्देश भी देने की मांग की गई है। सभी श्रेणी के मजदूरों, यौन कर्मियों, वेंडरों, झुग्गियों व स्लम एरिया में रहने वालों तथा बेघरों को इस महामारी के प्रति सचेत करने के लिए जरूरी उपाय किये जायें।

याचिका में दिल्ली, केरल, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों में कोरोना संकट के बाद कमजोर वर्गों, श्रमिकों व दैनिक वेतनभोगियों की मदद के लिए उठाये गये कदमों का तुलनात्मक विवरण भी दिया गया है।

संविधान के अनुच्छेद 21 तथा 47 एवं राष्ट्रीय राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013, महामारी रोग अधिनियम 1897, आवश्यक वस्तु अधिनियम 1957, विवाद प्रबंधन अधिनियम 2005 को याचिका का आधार बनाया गया है।

इसके अलावा याचिका में छत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा अधिनियम, असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008, स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग का विनियमन) अधिनियम 2014 और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के तहत राहत पहुंचाने की मांग की गई है। याचिका में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश का भी उल्लेख किया गया है।

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