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गुरु गोविन्द सिंह की शहादत और शौर्य को कविताओं, गीतों से याद किया पंजाबी समाज ने

दयालबंद गुरुद्वाारा में गुरु गोविन्द सिंह की शहादत पर केन्द्रित कार्यक्रम।

बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों ने उत्साह से भाग लिया, प्रतिभागियों को बांटे गए पुरस्कार

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, गुरुसिंघ सभा दयालबंद एवं आदर्श पंजाबी महिला संस्था द्वारा आयोजित शहादत को नमन कार्यक्रम सादगी और उत्साह के साथ मनाया गया। इसमें पांच साल के छोटे बच्चे से लेकर महिलाओं और बुजुर्गों ने भी हिस्सा लिया।

कार्यक्रम की समाप्ति पर संस्था ने बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें उपहार भी दिए, ताकि वे आगे इसी तरह और अच्छा प्रदर्शन करें। उपहार वितरण कार्यक्रम को सफल बनाने में गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष अमरजीत सिंह दुआ, सुरजीत सिंह सलूजा, जोगिन्दर सिंह गंभीर, परमजीत सिंह सलूजा, जगमोहन सिंह अरोरा, नरेन्दर सिंह गांधी, हेड ग्रंथी भाई मान सिंह ने सहयोग दिया। आदर्श पंजाबी मिला संस्था की अध्यक्ष दलजीत कौर, सचिव रोमी सलूजा, कोषाध्यक्ष शिल्पी सलूजा, महेन्दर सलूजा, तेजीत गंभीर, लवजीत सलूजा, परमजीत कथूर, मनप्रीत मक्कड़, रेशम गंभीर, सुशमीत कोहली व अवि अजमानी मौजूद थीं।

सिख धर्म में शहीदी सप्ताह बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसकी जानकारी समाज के लोगों को हो, इसलिये 21 से 26 दिसंबर तक यह कार्यक्रम गुरुद्वारा दयालबंद में आयोजित किया गया था। इसमें गीत व कविताओं के माध्यम से गुरु गोविन्द सिंह जी के जीवन पर प्रकाश डाला गया।

कार्यक्रम में गुरु गोविंद सिंह के सम्पूर्ण जीवन तथा उनकी गाथा को कविता और गीतों के जरिये की गई प्रस्तुति ने सबके दिलों को छू लिया। उनका शौर्य, पराक्रम और उनके जिगर के टुकड़ों की शहादत बच्चों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने। गुरु गोविन्द सिंह के पुत्र युद्ध में शहीद हुए थे और नींव पर चुनवा दिये गए थे। पिता ने दिल्ली की चांदनी चौक में शहादत पाई। इन सर्वस्व दानियों और शहीदों का नमन किया गया। इसमें महिलाओं का भी योगदान रहा।

कार्यक्रम में 14 ग्रुप बने, जिसमें समाज के 200 लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के माध्यम से नई पीढ़ी को संदेश दिया गया कि सिक्खी समुदाय के स्वरूप को पूरी दृढता से बनाकर रखना है।

 

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