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कहानी यथार्थ नहीं होती, भाष्य करती है-चौबे ; वनमाली पीठ में कथाकार मुकेश वर्मा व कवि बलराम गुमास्ता ने किया पाठ

वनमाली सृजन पीठ में उपस्थित कहानीकार एवं कवि।

 

बिलासपुर। वनमाली सृजनपीठ में कहानी और कविता पाठ का आयोजन किया गया। इस आयोजन में भोपाल से आए कथाकार एवं समावर्तन के संपादक मुकेश वर्मा ने अपनी कहानी न्यायाधीश एवं भोपाल से  ही आए कवि एवं गद्यकार बलराम गुमास्ता ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में कला साहित्य प्रेमी उपस्थित है।

कवि एवं गद्यकार बलराम गुमास्ता ने शादी की सालगिरह कविता का पाठ किया। इसी तरह उन्होंने वर्तमान राजनीति पर कटाक्ष मामू बनाया, हे राजन…. का भी पाठ किया जिसे सभी ने बहुत पसंद किया। उसके बाद उन्होंने एक आदमी के बारे में कैसे होती है रात…… और बहुत ही भाव भरी कविता आज घर में बेटी आई…का भी पाठ किया। इस अवसर पर  प्रख्यात कथाकार एवं समावर्तन के संपादक  मुकेश वर्मा ने अपनी एक कहानी न्यायाधीश का  पाठ किया। जिसमें न्यायाधीश के अनेक रूपों और भाव को उल्लेखित किया गया है। इस कहानी को सभी ने सराहा।

इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में उपस्थित साहित्यकार और संस्कृतिधर्मी संतोष चौबे ने कहा कि आज की कविता यदि पॉलिश्ड और संगीतमयी होगी तो वह काम नहीं कर पाएगी जो आज की जरूरत है।  आज के समय में कवि को भी उद्वेलित होना चाहिए। यह सोचकर कि समाज में देखो ऐसा हो रहा है। विश्व में क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि कवि को भावुक होना चाहिए पर उम्मीद भी जगानी चाहिए। चौबे ने यह भी बताया कि कहानी यथार्थ नहीं होती कहानी यथार्थ का भाष्य करती है।

कार्यक्रम में वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष सतीश जायसवाल , विश्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने किया।

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