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एक हजार करोड़ के घोटाले में अफसरों की रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई पूरी, शासन से मांगे गये दस्तावेज

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक हजार करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में दर्ज एफआईआर के खिलाफ आईएएस बाबूलाल अग्रवाल एवं सतीश पांडे की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। राज्य सरकार की ओर से भी एक रिव्यू पिटिशन दायर की गई है जिस पर आगामी 7 फरवरी को सुनवाई होगी। केंद्र सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि सीबीआई ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए इस मामले में एक एफआईआर दर्ज की है।

समाज कल्याण विभाग में 1000 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में बीते 30 जनवरी को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 7 आईएएस अधिकारियों सहित कुल 12 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश सीबीआई को दिया था। सीबीआई को 7 दिन का समय दिया गया था जिसकी अवधि आज पूरी हुई है।

एफआईआर आदेश को चुनौती देते हुए आईएएस बाबूलाल अग्रवाल एवं सतीश पांडे ने एक रिव्यू पिटिशन हाईकोर्ट में दायर की थी जिस पर मंगलवार और बुधवार को सुनवाई हुई। दूसरे दिन की सुनवाई के बाद जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने  फैसला सुरक्षित रख लिया।

इधर राज्य सरकार की ओर से भी उप -महाधिवक्ता मतीन सिद्दीकी ने रिव्यू पिटिशन दायर की। इस पर सुनवाई भी इसी बेंच ने की। शासन की ओर से कहा गया की इस मामले की सुनवाई में शासन का पक्ष नहीं सुना गया है। कोर्ट ने महाधिवक्ता को निर्देशित किया है कि वह प्रकरण से संबंधित सभी फाइलें लेकर सात फरवरी को कोर्ट में अपना पक्ष रखें।

सीबीआई की ओर से उपस्थित एडीशनल सॉलिसीटर जनरल बी गोपाकुमार ने कोर्ट को बताया की सीबीआई की भोपाल शाखा में आज ही घोटाले को लेकर एफ आईआर दर्ज की गई है। यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि दर्ज एफआइआर नामजद है या नहीं।

मालूम हो कि समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत राज्य स्रोत निःशक्त जन संस्थान नाम का एक फर्जी स्वयंसेवी संगठन बनाया गया था जिसके माध्यम से करीब 1000 करोड़ रुपए की अफरा-तफरी करने की बात हाई कोर्ट के सामने रखी गई। इस मामले के याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ने जब अपने वेतन वृद्धि और पदोन्नति का आवेदन दिया तो उन्हें आरटीआई से निकाले गए दस्तावेजों से इस बात की जानकारी मिली। इसके बाद अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस मिश्रा और जस्टिस साहू की बेंच ने बीते 30 जनवरी को इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने का आदेश दिया था। तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री एवं अभी केंद्र में मंत्री रेणुका सिंह की भूमिका की जांच करने का निर्देश हाईकोर्ट ने अपने आदेश में दिया था।

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