करगीरोड (कोटा) ब्लॉक के करगीखुर्द आदिवासी छात्रावास में छोटे बच्चों को अपने खाने के लिए खुद पानी भरना और चावल साफ करना पड़ता है। शिक्षकों ने भोजन के रसोईये की सुविधा के लिए यह फरमान जारी किया है।

छत्तीसगढ़ के बैगा बिरहोर आदिवासियों को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जाता है। इन आदिवासी परिवारों ने अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई-लिखाई कर काबिल बनाने की आस में छात्रावासों में भेजा है लेकिन यहां के शिक्षक उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर रहे हैं। शाम के समय थके-मांदे बच्चों को जब आराम की जरूरत होती है उनसे भोजन के लिए खुद तैयारियों से जूझना पड़ता है। उनसे शिक्षकों ने इस काम पर लगा रखा है। इन तस्वीरों से साफ झलकता है कि बच्चों के श्रम का किस प्रकार से शिक्षक शोषण कर रहे हैं और उनके भविष्य के साथ कुठाराघात कर रहे हैं।

कोटा में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी इस समय पदस्थ नहीं है। घोटाले के आरोप में एमएल पटेल के सस्पेंड होने के बाद दूसरे अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है। शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक जीएल जायसवाल ने मामले की जांच कराने की बात कही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here