Home अपडेट  “तीन घंटा ले अगोरत रहेन, ए दे आईस अऊ चल दिस बघेल”

 “तीन घंटा ले अगोरत रहेन, ए दे आईस अऊ चल दिस बघेल”

मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार बिलासपुर आये भूपेश बघेल का जगह-जगह इसी तरह स्वागत हुआ।

‘हनुमान की पूंछ’ की तरह लम्बा होता गया पहली बार शहर आये मुख्यमंत्री का स्वागत सत्कार

बिलासपुर, 31 दिसंबर। भविष्य के संदिग्ध विजेता के रूप में शहर पहुंचने वाले भूपेश बघेल पहले की तरह अभी भी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं पर इस बार वे 68 विधायकों का नेतृत्व करते हुए मुख्यमंत्री के रूप में पहुंचे। छत्तीसगढ़ भवन में गिनती के कार्यकर्ताओं के साथ रायशुमारी करने वाले इस संघर्षशील नेता के पास पूरे प्रदेश की कमान आ गई है। जितने लोग जेल नहीं गए, लाठियां नहीं खाई उससे हज़ार गुना लोग उनके स्वागत सत्कार में पहुंचे।

पहले की ही तरह सहजता से सबसे मिलने की कोशिश कर रहे बघेल के साथ दिक्कत यह थी कि वे अब सुरक्षा घेरे में घिरे थे। उनका मूल कार्यक्रम था ओमनगर जरहाभाठा में गुरु घासीदास जयंती समारोह में शामिल होना। लेकिन खुद बघेल ने कहा कि हनुमान की पूंछ की तरह एक के बाद एक कार्यक्रम जुड़ते गये। उनके आगमन के अंतिम क्षण तक कार्यक्रम बनते रहे। प्रो. प्रभुदत्त खेरा से अपोलो अस्पताल में मिलने के बाद वे कांग्रेस भवन के लिए निकले तो रास्ते में स्वागत करने वालों ने मंच तैयार कर रखे थे। स्थिति यह बनी कि हेलीपैड से कांग्रेस भवन पहुंचने में उन्हें दो घंटे लग गए। इस बीच रोड शो भी हो गया। जिसका पहले कार्यक्रम बना ही नहीं था। किसान हितैषी फैसले लेने को लेकर किसान कांग्रेस की तरफ से उन्हें धान से भी तौल दिया गया।

दरअसल, मुख्यमंत्री को शाम 7 बजे भिलाई के एक कार्यक्रम में शामिल होना था। हेलीकॉप्टर की उड़ान भी दिन के ही उजाले में हो सकती थी। वे विधिज्ञ परिषद् के कार्यक्रम में शामिल हुए तो बार-बार संदेश दे रहे थे कि जल्दी करिये, वरना जिस कार्यक्रम के लिए मैं यहां आया हूं वहीं शायद न पहुंच पाऊं। पर यहां भी 40 मिनट लग गये। बघेल की शीघ्रता को भांपते हुए जब जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सुरेश गौतम ने रफ्तार के साथ अपनी बात रखी तो सभा में ठहाके लग गये।

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को भी उनसे मिलने का कार्यक्रम था। वे भी काफी देर तक उनका इंतजार कर रहे थे।  तब जाकर भेंट हुई पर समय की कमी ऐसी थी कि मुश्किल से पांच मिनट ही भेंट हुई।

इसके बाद बघेल शाम करीब चार बजे ओमनगर में आयोजित गुरु घासीदास जयंती समारोह में पहुंचे। यही उनका सबसे पहले तय कार्यक्रम था। वे थोड़ी ही देर वहां रुक पाये। ठंड का मौसम, हेलिकॉप्टर उजाले में ही उड़ान भर सकता था। यहां से वे पांच सात मिनट में ही निकल पड़े। दर्शकों के बीच बैठी एक महिला ने कहा-‘तीन घंटा ले अगोरत रहेन, एदे आईस अऊ चल दिस।’ तय कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री को तिफरा, यदुनंदननगर में भी गुरु घासीदास जयंती के एक और कार्यक्रम में शामिल होना था लेकिन उनको यह निरस्त करना पड़ा।

 

 

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