Home अपडेट खुली प्रतिस्पर्धा में खदान का पारदर्शी आवंटन किया गया, विदेशी कोयले पर...

खुली प्रतिस्पर्धा में खदान का पारदर्शी आवंटन किया गया, विदेशी कोयले पर निर्भरता घटेगी

एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर।

एसईसीएल ने कहा- उद्योगों को सस्ता कोयला उपलब्ध कराने तीन खदानों के लिए अब तक हुए एमडीओ, उत्पादन बढ़ेगा

बिलासपुर। रायगढ़ की पेलमा खदान का अडानी की कंपनी साथ एमडीओ के खिलाफ मंगलवार को किए गए जिला कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद एसईसीएल की ओर से पक्ष रखा गया है। कंपनी ने कहा है कि कोयला आयात करने के कारण देश को भारी विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ रही है, इसलिए उत्पादन बढ़ाने के लिए ग्लोबल टेंडर निकालकर खुली प्रतिस्पर्धा के जरिये कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया है। इसका कोयला एमडीओ करने वाली कंपनी नहीं बेचेगी, बल्कि पूरा एसईसीएल को ही देगी।

एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनीश चंद्र ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022 में देश में 200 मिलियन टन से अधिक कोयला आयात किया गया है जिसकी कुल लागत 2.28 लाख करोड़ रुपये रही। इस वर्ष घरेलू कोयले का प्रति टन दर 2362  रुपये था वहीं आयातित कोयले की कीमत लैंडिंग प्राईस प्रति टन 19,324  रुपये आंकी गई। भारत में दुनिया का पाँचवा सबसे बड़ा कोयला रिजर्व मौजूद है। इसके बावजूद देश को कोयला आयात करना पड़ता है। प्रति वर्ष देश में 75 मिलियन टन से अधिक नान-कोकिंग कोयला आयातित किया जाता है जिसके भण्डार छत्तीसगढ़ एवं उड़ीसा जैसे राज्यों में मौजूद हैं। यदि इन क्षेत्रों से घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाया जाए तो निश्चित रूप से कोल इम्पोर्ट बिल को कम करने में मदद मिलेगी। भारत सरकार की नीति अनुरूप, घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने के उद्धेश्य से सरकार द्वारा ऑक्शन माध्यम से कोल ब्लॉक का आबंटन किया जा रहा है। उन खदानों को जहां संचालन में भूगर्भीय या स्थानीय कारकों की वजह से समस्या आ रही है उन्हें प्रायव्हेट प्लेयर्स के जरिए संचालन के लिए माईन डेवलपर व आपरेटर माडल (एमडीओ) पर निविदाएं आमंत्रित की जा रही हैं। एमडीओ मोड पर खदानों का आबंटन ग्लोबल टेण्डर के जरिए किया जाता है जिसमें दुनियाभर की कम्पनियां भाग ले सकती हैं। यह प्रक्रिया ऑनलाईन पोर्टल के जरिए पारदर्शी तरीके से होती है। एमडीओ मोड में कोयला खनन से जुड़े टेण्डर जैसे ओबी निकालना, कोयला निकालना, कोयला परिवहन आदि अलग-अलग न करके एक साथ किया जाता है। संबंधित कम्पनी आधुनिक तकनीक व भारी मशीनों में निवेश के लिए भी तैयार रहती है। इस प्रकार खदान से उत्पादन जल्दी शुरू किया जा सकता है। एमडीओ मोड की खदानें एसईसीएल की ही हैं तथा इन्हें किसी को बेचा नहीं जाता। संबंधित कम्पनी को खुले मार्केट में कोयला बेचकर मुनाफा कमाने की अनुमति नहीं होती, इस प्रकार से संबंधित कम्पनी मूल कम्पनी को ही उत्पादन में सहयोग करती है।
एसईसीएल की ओर से कहा गया है कि पूरे देश में 15 से अधिक खदानें एमडीओ मोड पर संचालित हो रही हैं। एसईसीएल में इस प्रकार की 3  खदानें ग्लोबल टेण्डरिंग के जरिए दी गयी हैं तथा तीनों ही 3 अलग-अलग निजी कम्पनियों को मिले हैं। एमडीओ मोड पर खदानों के संचालन से घरेलू कोयला उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी जिसका प्रत्यक्ष लाभ देश के उद्योगों को कम दर पर कोयला उपलब्धता के रूप में मिल सकेगा, साथ ही साथ कोल इम्पोर्ट बिल के भार को भी कम किया जा सकेगा।

NO COMMENTS