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अंतराष्ट्रीय महिला दिवसः विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव ने बताया- हर आय वर्ग की महिला को मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार

बिलासपुर। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने महिलाओं के कानूनी अधिकारों और विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने के लिए शिविर रखा। यह कार्यक्रम महिला शिक्षा कल्याण प्रशिक्षण परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में रखा गया।

मुख्य अतिथि प्राधिकरण के सदस्य सचिव विवेक कुमार तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि महिलाओं को कानून में समानता का अधिकार प्रदान किया गया है।  पूर्व में महिलाओं एवं पुरुषों को अलग अलग मजदूरी भुगतान किया जाता था जिसे संशोधित कर एक समान कर दिया गया है।  महिलाओं के लिए किसी मामले मुकदमे में पैरवी करने के लिए निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराया जाता है साथ ही समस्त प्रकार के कानूनी व्यय भी उपलब्ध कराये जाते हैं।  महिला किसी भी जाति, किसी भी आय वर्ग की क्यों न हो उसे विधिक सेवा की पात्रता में शामिल किया गया है।  पात्रता प्रमाणित करने के लिए भी बहुत सरल प्रक्रिया अपनाई गई है ।  एक सादे कागज में आवेदन देने पर विधिक सहायता उपलब्ध हो जाती है।

उन्होंने कहा कि आज का युग इलेक्ट्रानिक माध्यम का युग है। मोबाईल, इंटरनेट, वाट्सअप जैसी चीजों का उपयोग महिलाएं भी बड़ी संख्या में करने लगी हैं।  परन्तु इसके उपयोग को सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए क्योंकि आजकल इन माध्यमों से सायबर अपराधों की संख्या में वृद्धि हो रही है।  उन्होंने बताया कि विधिक सेवा प्राधिकरण निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक विधिक सहायता दिलाने हेतु कार्यरत है।  इसके कार्यालय तहसील, जिला एवं उच्च न्यायालय में भी होते हैं जहां पर संपर्क कर विधिक सहायता प्राप्त की जा सकती है।

उप सचिव दिग्विजय सिंह ने दो दिन पूर्व  उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति  ए.के. सीकरी के उद्गार व्यक्त किए। जस्टिस सीकरी ने कहा है-प्रकृति से मेरा कुछ अंश नारी सा है। इस लिंग में जिस तरह के गुण होते हैं, अगर उस पर जायें तो मेरे विचार में पूर्ण न्याय करने के लिए प्रत्येक जज में नारीत्व के कुछ अंश होने चाहिये।  न्याय की प्रतीक एक देवी  है, बेशक उसकी आंख पर पट्टी बंधी है, लेकिन उसका दिल बंद नहीं है।

अवर सचिव श्वेता श्रीवास्तव ने कहा कि महिलाएं सशक्त होती हैं। उन्हें जागरूक करने की जरूरत है। महिलाओं के लिए बहुत सारे कानून बनाये गये हैं। घरेलू हिंसा का कानून में घर के किसी पुरुष सदस्य द्वारा अगर किसी भी तरह की हिंसा की जाती है तो वे इसकी शिकायत कर सकती हैं।  इसी प्रकार कामकाजी महिला लिए भी कानून बनाया गया है।  कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का कानून उन्हें अपने कार्य के स्थल पर सुरक्षा प्रदान करता है।  इसके लिए प्रत्येक कार्यालय में महिला उत्पीड़न समिति का गठन किया गया है। महिला शिक्षा कल्याण प्रशिक्षण परिषद की डायरेक्टर हेमलता साहू ने बताया कि आज के इस कार्यक्रम में उनकी संस्था की सहयोगी इकाईयों की प्रतिनिधि महिला उपस्थित हुई हैं जिनके साथ उनके क्षेत्र में कार्य करने वाली अनेक महिलाएं जुडकर कार्य करती हैं।  कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास, श्रम विभाग, शहरी विकास अभिकरण आदि विभागों के भी अधिकारियों ने भी अपने-अपने विभागों में महिलाओं के लिए संचालित कार्यक्रमों की जानकारी दी।  कार्यक्रम सामुदायिक भवन, राजस्व कालोनी, बिलासपुर में रखा गया था।

 

 

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