याचिकाकर्ता लेखराम साहू और दो गवाहों को मिलेंगे दो-दो हजार रुपये

बिलासपुर । हाईकोर्ट ने चुनाव याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रतिपरीक्षण से मना करने पर सांसद सरोज पांडे पर 6 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। ये रुपये याचिकाकर्ता लेखराम साहू और दो गवाहों को मिलेगा, जो कोर्ट में प्रतिपरीक्षण के लिये उपस्थित हुए थे। अगली सुनवाई 29 अक्टूबर तय की गई है।

ज्ञात हो कि राज्यसभा चुनाव में सांसद सरोज पाण्डेय के निर्वाचन को कांग्रेस के प्रत्याशी लेखराम साहू ने चुनाव याचिका के माध्यम से चुनौती दी है। नियमों के मुताबिक चुनाव याचिकाओं का निपटारा 6 माह के भीतर करना होता है, परन्तु पिछले डेढ़ साल से कोरना काल होने के कारण प्रकरण में गवाही शुरू नहीं हो पाई थी। आज की सुनवाई में लेखराम साहू और दो अन्य गवाह विन्सेंट डिसूजा और अमोल मालूसरे का प्रतिपरीक्षण होना था। इसके लिये इन गवाहों का शपथ-पत्र 28 सितम्बर मंगलवार को ही प्रस्तुत किया जा चुका था।

आज सुनवाई के दौरान लेखराम साहू के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और हिमांशु शर्मा ने जस्टिस सैम पी कोशी की बेंच को उक्त तीनों गवाहों के प्रतिपरीक्षण के लिये सुबह से ही उपस्थित होने की जानकारी दी। इस पर बेंच ने सरोज पाण्डेय के अधिवक्ता अविनाश चन्द्र साहू को प्रतिपरीक्षण शुरू करने कहा। सरोज पाण्डेय के अधिवक्ता ने प्रतिपरीक्षण करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए और समय मांगा।

याचिकाकर्ता की ओर से यह बताया गया कि मंगलवार को ही प्रतिवादियों को शपथ-पत्र की प्रतिलिपि उपलब्ध करा दी गई थी और गवाह भी धमतरी और दुर्ग से आ चुके हैं। इस परिस्थिति में जस्टिस कोशी ने पांडेय के अधिवक्ता से कहा कि तीन दिन पहले से शपथ पत्र मिल चुका है।  अगर आज प्रतिपरीक्षण नहीं करना था तो पूर्व से ही याचिकाकर्ता को इस संबंध में सूचना देनी थी। आज उनका आना व्यर्थ हो गया अतः उन्हें खर्चे की भरवाई होना जरूरी है। सरोज पाण्डेय के अधिवक्ता ने क्षमा मांगते हुए अधिक कॉस्ट न लगाने का अनुरोध किया। इस पर बेंच के द्वारा प्रति गवाह दो – दो हजार रुपये, कुल 6 हजार रुपये प्रतिवादी सरोज पाण्डेय को जमा करने का निर्देश दिया।

गौरतलब है कि लेखराम साहू द्वारा दायर चुनाव याचिका में सरोज पाण्डेय द्वारा शपथ पत्र में बैंक अकाउंट को छिपाने और निवास स्थान के बारे में गलत जानकारी देने जैसे कई आरोप लगाये गये हैं। साथ ही उनके निर्वाचन को इस आधार पर भी चुनौती दी गई है कि उनके प्रस्तावक और समर्थकों में बहुत से विधायक लाभ के पद पर थे। इस कारण वे मतदान के पात्र नहीं थे। उनका नामांकन पत्र पूर्व में ही रद्द किया जाना चाहिये था। अब मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर रखी गई है। इस दिन इन सभी गवाहों का प्रतिपरीक्षण किया जायेगा।

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