Home अपडेट उत्प्रेरण के आधारभूत सिद्धान्त एवं संभावनाओं पर सीयू के प्राध्यापकों की किताब

उत्प्रेरण के आधारभूत सिद्धान्त एवं संभावनाओं पर सीयू के प्राध्यापकों की किताब

केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स द्वारा सम्पादित किताब।

बिलासपुर। गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी के पात्रा व डॉ. एसएस ठाकुर द्वारा सम्पादित शोध आधारित पुस्तक अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन संस्था बैंथम साइंस की ओर से प्रकाशित की गई है।

उत्प्रेरक और उत्प्रेरण ( Catalyst  and  catalysis) रासायनिक विज्ञान का एक बहुत महत्वपूर्ण मौलिक, उपयोगी  तथा शोधपरक क्षेत्र है।  यह विषय दुनिया भर के शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों,  रासायनिक-प्रौद्योगिकीविदों और उद्योग जगत के अनुसन्धान और विकास से जुड़े लोगों को इसे जानने, समझने और अनुसंधान करने हेतु प्रेरित करता है।  उत्प्रेरण अपनी प्रकृति से ही बहु- एवं अन्त-र्विषयक रहा है जिसमें  कार्बनिक संश्लेषण, उप सह-संयोजन  और कार्बधात्विक रसायन विज्ञान, बल गतिकी  और क्रियाविधि , त्रिविम रसायन अवधारणाओं और पदार्थ विज्ञान शामिल हैं। पिछले कुछ दशकों से  विविध उत्प्रेरक और उत्प्रेरित अभिक्रियाओं  के माध्यम से प्राप्त मूल्यवान उत्पाद व्यवसायिक स्तर पर उपलब्ध  हैं।  इस क्षेत्र की महत्ता का बड़ी संख्या में प्रकाशित  शोध पत्रों और पेटेंटों द्वारा आकलन किया जा सकता है।

इसके अलावा, रासायनिक और एंजाइमेटिक  उत्प्रेरण  बहुत लोकप्रिय और अत्यधिक गतिशील अनुसंधान क्षेत्र है जिसे 1901  से 2012 के दौरान नोबेल फाउंडेशन से 15 बार मान्यता मिली। बल्क केमिकल, सिंथेटिक उत्पाद, जैव-रासायन, औषधीय और फाइन केमिकल आदि महत्वपूर्व रसायनों जिनका उत्पादन विभिन्न रासायनिक एवं जैव-रासायनिक सांश्लेषिक प्रक्रिया द्वारा होता है, इनके निर्माण के किसी न किसी चरण में उत्प्रेरक की आवश्यकता  होती है। एक अध्ययन के अनुसार लगभग 90 प्रतिशत रासायनिक अभिक्रियाओं में समांगी या विषमांगी उत्प्रेरक का उपयोग होता है।

प्रस्तुत पुस्तक में उत्प्रेरण के लगभग सभी पहलुओं को  शामिल किया गया है। इससे कई  शोध  विषयों और क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया है। उत्प्रेरक के नव-डिजाइन, संश्लेषण, विकास, ऊर्जा की खपत और उपत्पादों को कम करना, परमाणु मितव्ययता, और उत्प्रेरण का हरित रसायन  दृष्टिकोण निश्चित रूप से इन क्षेत्रों में किये जाने वाले कार्यों के भविष्य में एक व्यापक  भूमिका निभाएगा।

पुस्तक में कुल 215 पेज है जिसमें 7 चैप्टर और 20 लेखक है जिसमें गुरु घासीदास विश्व विद्यालय के साथ साथ  आईआईटी., बीएच्यू और सागर केंद्रीय विश्व विद्यालय के विभिन्न प्रोफेसरों का योगदान है। पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी इस लिंक पर जाकर ली जा सकती है।

https://benthambooks.com/book/9789811458514/

 

 

NO COMMENTS