यूजी व पीजी में भरतनाट्यम, ओडिसी, चित्रकला, हिन्दुस्तानी वाइलन, सितार, सरोद, सिंथेसाजर, सहित वेस्टर्न डांस भी पढ़ाई जल्द

बिलासपुर। डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में इस सत्र से ललित कला विभाग प्रारंभ किया जा रहा है। इसमें किसी भी उम्र के कोई भी विद्यार्थी हिन्दुस्तानी संगीत, कथक, तबला व गिटार सहित विधाओं में पढ़ाई कर सकेंगे। जल्दी ही पाठ्यक्रम के अनुसार भरतनाट्यम, ओडिसी, चित्रकला, हिन्दुस्तानी वाइलन, सितार, सरोद, सिंथेसाजर, सहित वेस्टर्न डांस की भी पढ़ाई शुरू की जाएगी।

कुलपति प्रो.रवि प्रकाश दुबे ने बताया कि सीवीआरयू कला संस्कृति के क्षेत्र में वैश्विक स्तर में कार्य कर रहा है। वर्ष 2019 से निरंतर कला संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में विश्वरंग आयोजित किया जा रहा है, जो एशिया का इस क्षेत्र में सबसे बड़ा आयोजन है। कोविड काल में यह आयोजन ऑनलाइन किया गया है। इसमें दुनिया के कई देशों के कला, संस्कृति और साहित्य प्रेमी शामिल होते हैं। इसी तरह सीवीआरयू में रामन लोक कला महोत्सव भी वर्षों से आयोजित किया जा रहा है। रइसमें प्रदेश भर के कलाकार शामिल होकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। खास बात यह भी है कि यहां ऐसे जमीनी कलाकारों को भी मंच दिया जा रहा है, जिन्हें मंच नहीं मिल पाता है। सीवीआरयू में  इसी सत्र से ललित कला विभाग शुरू किया गया है। इस सत्र से हिन्दुस्तानी संगीत, कथक, तबला व गिटार सहित विधाओं में पढ़ाई होगी। यह सभी 6 माह का सर्टिफिकेट कोर्स होगा। ये कक्षाएं ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में होगी। प्रो. दुबे ने बताया कि कला संस्कृति भी रोजगार के क्षेत्र में बड़े विकल्प के रूप में तेजी से उभरा है। इसे लोग प्रोफेशन के रूप में स्वीकर कर रहे हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में भी युवाओं को पढ़ाई करके अपना कैरियर बनाना चाहिए। उन्होने बताया कि ऐसा कोई भी व्यक्ति जो कला की जानकारी रखता है लेकिन उसके पास सर्टिफिकेट नहीं है। वह नियत तिथि को कोर्स पूरा करके सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकता है। इसके लिए कोई आयु और न्यूतम शैक्षणिक योग्यता का अनिवार्यता नहीं है। जल्द ही इन विषयों के साथ-साथ वेस्टर्न डांस की विधाओं में यूजी व पीजी की पढ़ाई भी शुरू होगी।

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