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जिले के बाहर फंसे मजदूरों की संख्या 70 हजार के पास, सबसे ज्यादा 37 हजार मस्तूरी इलाके से, स्वास्थ्य की जांच और क्वारांटाइन करना होगा बड़ा अभियान

प्रतीकात्मक छवि।

बिलासपुर। लॉकडाउन के बाद से बाहर फंसे प्रवासी श्रमिकों की सूची जिले में बननी शुरू हो गई है। जिले में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग टीमों से श्रमिकों की सूची तैयार की जा रही है। इन श्रमिकों को कब और किस साधन से जिले की सीमा पर पहुंचेंगे इसके लिए राज्य शासन से दिशानिर्देश की प्रतीक्षा की जा रही है, लेकिन यहां आने के बाद उनके स्वास्थ्य, आवास और भोजन की व्यवस्था कैसे की जायेगी इसकी तैयारी शुरू हो गई है।

गर्मी का मौसम गुजरने के बाद बारिश शुरू होने से पहले ही अन्य राज्यों में कमाने-खाने के लिए जाने वाले मजदूरों की वापसी शुरू हो जाती है ताकि वे खेती के काम कर सकें। इस बार लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में पिछले मार्च महीने से मजदूर देश के अन्य राज्यों में फंसे हुए हैं। बिलासपुर, जांजगीर, मुंगेली छत्तीसगढ़ के ऐसे जिले हैं जहां के श्रमिक मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, पंजाब सहित दक्षिण भारत के तेलंगाना, ओडिशा आदि राज्यों में हर साल अतिरिक्त आय के लिए निकल जाते हैं। ये मजदूर ईंट  भट्ठों में या फिर निर्माण कार्यों में काम करते हैं। बहुत से मजदूर अपने पूरे परिवार के साथ निकल जाते हैं। लॉकडाउन होने के बाद से वे अपने कार्यस्थलों में फंसे हुए हैं। हजारों की संख्या में उन्हें काम छोड़कर पैदल ही गांवों की तरफ लौटने की खबरें आ रही है। छत्तीसगढ़ के सैकड़ों मजदूरों को विधिक सहायता प्राधिकरण, प्रशासनिक अधिकारियों और स्वयंसेवियों के माध्यम से या तो छत्तीसगढ़ लाने या फिर उनके रुके हुए स्थान पर ही सहायता पहुंचाने की कवायद की गई है।

जानकारी के मुताबिक बिलासपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से ही 52 हजार से अधिक श्रमिकों के दूसरे राज्यों में फंसे होने का अनुमान है। इनमें सर्वाधिक संख्या मस्तूरी जनपद पंचायत की है जहां के 82 गांवों से श्रमिक काम करने के लिए बाहर निकले हैं। मस्तूरी के अलावा बिल्हा, कोटा, तखतपुर जनपदों से भी बड़ी संख्या में श्रमिक प्रदेश से बाहर हैं। इस सूची में अभी और वृद्धि हो सकती है। जनपद पंचायतों ने ग्राम पंचायतों के सचिव तथा सरपंचों को इसकी जानकारी  एकत्र करने के काम में लगा रखा है। इसके अलावा अभी नगर निगम बिलासपुर की प्रारंभिक सूची नहीं बनी है। नगरीय निकायों की सूची भी अभी तैयार हो रही है। इन सबको मिलाकर जिले के करीब 70 हजार वापस आने के इच्छुक श्रमिकों की संख्या बताई जा रही है।

राज्य सरकार ने अभी अभी कोटा राजस्थान में फंसे छात्रों को छत्तीसगढ़ वापस लाया है। इसके बाद दूसरे राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के स्कूल कॉलेजों की सूची भी शिक्षा विभाग द्वारा तैयार की जा रही है। पर इनकी संख्या दो तीन हजार में ही है। 70 हजार श्रमिकों को किस तरह से लाया जायेगा इसके लिए बसें चलेंगी या ट्रेन, मजदूरों को स्वयं के साधन से आना हो होगा या राज्य के स्तर पर व्यवस्था होगी इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है।

फिलहाल राज्य सरकार से आये निर्देशों के मुताबिक जिले में श्रमिकों को क्वारांटाइन पर रखे जाने के लिये सामुदायिक भवन, स्कूल भवन, छात्रावासों आदि को चिन्हित किया जा रहा है। जिले की सीमा में प्रवेश करने के बाद उनके भोजन, आवास व स्वास्थ्य की व्यवस्था किस तरह की जायेगी इस पर भी विचार किया जा रहा है। जनपद पंचायतों तथा श्रम विभाग के अधिकारी इस काम मे लगाये गये हैं।

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